न्यूज डेस्क
असम में एनआरसी शुरु से विवादों में रहा है। एनआरसी लिस्ट जारी होने के बाद से कई विवाद सामने आया। एक बार फिर एनआरसी सूची को लेकर नया विवाद सामने आया है।
एनआरसी स्टेट कोऑर्डिनेटर ने सभी जिला मजिस्ट्रेट को भेजे मेमो में कहा है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन सूची में गलत तरीकों से नाम ‘शामिल करने और बाहर करने’ के कारण इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
एनआरसी स्टेट कोऑर्डिनेटर ने एनआरसी की अंतिम सूची में गलत तरीके से शामिल किए गए नामों के बारे में डिटेल मांगी है। इस बार एक दिन के भीतर ही जवाब भी मांगा गया है।
NRC स्टेट कोऑर्डिनेटर हितेश देव ने सभी उपायुक्त और जिला रजिस्टर ऑफ सिटीजन पंजीकरण को एक पत्र भेजा है और उन्हें सभी विवरण मुहैया कराने को कहा है। देव का कहना है कि, &1 अगस्त, 2019 को अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद पता चला
है कि अपात्र लोगों के कुछ नाम अंतिम एनआरसी में हैं, विशेष रूप से संदिग्ध मतदाता (डीवी), विदेशी घोषित (डीएफ), जिनका केस फॉरेन ट्रिब्यूनल में लंबित है। ऐसे लोगों के बारे में विवरण मुहैया कराया जाए जिनका नाम एनआरसी में शामिल किया जा सकता है।
गौरतलब है कि असम में &1 अगस्त 2019 को एनआरसी की फाइनल लिस्ट प्रकाशित की गई थी। इस सूची में 19 लाख से अधिक लोगों का नाम शामिल नहीं हो पाए थे। इनमें से अधिकतर हिंदू थे।
मालूम हो कि केंद्र ने 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि जिन ब’चों के माता-पिता को असम में एनआरसी के माध्यम से नागरिकता दी गई है, उन्हें उनके परिवारों से अलग नहीं किया जाएगा और उन्हें असम के डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष पेश हुए असम एनआरसी से बाहर रखे गए लगभग 60 ब’चों के परिवारों की पैरवी करने वाले वकील ने कहा कि एनआरसी प्रक्रिया से जुड़े सभी दस्तावेजों को दिखाने के बावजूद बच्चों को बाहर रखा गया है, जबकि उनके माता-पिता को शामिल किया गया है। शीर्ष अदालत में अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने स्पष्ट किया कि असम में उन बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा, जिनके माता-पिता को एनआरसी के माध्यम से नागरिकता प्रदान की गई है।
अदालत को वेणुगोपाल ने बताया कि 19 लाख लोगों को अंतिम एनआरसी सूची से बाहर रखा गया है। शीर्ष अदालत ने एनआरसी के बाद ब’चों को डिटेंशन सेंटर में भेजे जाने का आरोप लगाते हुए दर्ज की गई अपील पर केंद्र और असम सरकार को नोटिस जारी किया। शीर्ष कोर्ट ने असम सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि नवनियुक्त एनआरसी समन्वयक अपनी कुछ विवादित फेसबुक पोस्ट पर स्पष्टीकरण दें या इन्हें हटाएं।
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