न्यूज़ डेस्क
सीएए को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन लगातार जारी हैं सबसे ज्यादा इसका विरोध असम में हो रहा है। यहां ऑल असम स्टूडेंट यूनियन इन विरोध प्रदर्शनों की अगुआई कर रहा है। ये सभी प्रदर्शनकारी इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहा है। इस बीच असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि सीएए के तहत नागरिकता हासिल करने के लिए धार्मिक उत्पीड़न कोई मानदंड नहीं है।
हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि अगर भारत आकर कोई व्यक्ति ऐसा कहता है कि उसका बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न किया गया है तो ये साबित करने के लिए उसे बांग्लादेश जाना पड़ेगा और वहां से पुलिस रिपोर्ट की कॉपी लानी पड़ेगी। लेकिन ऐसा कर पाना असंभव सा है। कोई भी देश ऐसा करने को कैसे तैयार होगा।
Assam Min HB Sarma on his statement,’not possible to proof religious persecution’:If a person has to prove it then he has to go to Bangladesh&collect a copy of police report. So,I said that it’s not possible to proof concept of religious persecution #CitizenshipAmendmentAct(18.1) pic.twitter.com/Kpycq5VLOR
— ANI (@ANI) January 18, 2020
अपने बयान पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि इसलिए मैंने कहा कि धार्मिक उत्पीड़न को साबित करने की अवधारणा संभव ही नहीं है। ‘उन्होंने बताया कि सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के तीन मापदंड हैं।
इनमें सबसे पहला यह है कि आवेदक हिंदू, जैन, पारसी, ईसाई, सिख या बौद्ध धर्म का मानने वाला हो। दूसरा, आवेदक मूल रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का रहने वाला हो और तीसरा उसके पास 31 दिसंबर 2014 के पहले से भारत में रहने का सबूत हो। इसके अलावा धार्मिक उत्पीड़न के लिए कोई और मापदंड नहीं है।
गौरतलब है कि इससे पहले असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और उनके वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से गत सप्ताह मुलाकात की थी। इस मुलाकात में उन्होंने अनुरोध किया था कि सीएए के तहत नागरिकता हासिल करने के लिए एक सीमित समय सीमा दी जानी चाहिए। साथ ही असम के लोगों के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए।