जुबिली न्यूज डेस्क
देश की शीर्ष अदालत ने कहा है कि घर के निर्माण के लिए पैसे की मांग करना एक ‘दहेज की मांग’ है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 304बी के तहत अपराध है।
दहेज हत्या के एक मामले में दोषी व्यक्ति और उसके पिता की सजा को बहाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा “दहेज” शब्द को एक व्यापक अर्थ के रूप में वर्णित किया जाना चाहिए ताकि इसमें एक महिला से की गई किसी भी मांग को शामिल किया जा सके, चाहे संपत्ति के संबंध में हो या किसी भी तरह की मूल्यवान चीज के संबंध में।
क्या है मामला?
यह मामला मध्य प्रदेश का है। एक महिला ने दहेज उत्पीडऩ से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। दरअसल ससुराल वाले महिला को घर बनाने के लिए पैसे देने के लिए परेशान कर रहे थे और उस पर दबाव बना रहे थे कि वह अपने मां-बाप से पैसे मांगकर लाकर दें।
महिला का परिवार घर के निर्माण के लिए पैसे देने में असमर्थ था। इस वजह से महिला ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।
निचली कोर्ट ने इस मामले में महिला के पति और ससुर को आईपीसी की धारा 304बी, 306 और 498ए के तहत दोषी ठहराया था।
महिला का दोषी पति और ससुर ने इसको मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। एमपी हाईकोर्ट ने यह कहते हुए दोषसिद्धि और सजा के फैसले को खारिज कर दिया था कि मृतक ने खुद ही अपने परिवार से घर के निर्माण के लिए पैसे देने के लिए कहा था।
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उच्च न्यायालय ने पाया कि आरोपियों के खिलाफ 304बी के तहत अपराध स्थापित नहीं किया गया था, क्योंकि मृतक महिला से कथित तौर पर घर बनाने के लिए पैसे की मांग की गई थी, जिसे दहेज की मांग के रूप में महिला की मौत के उक्त कारण से नहीं जोड़ा जा सकता।
शीर्ष अदालत की बेंच ने निचली अदालत के फैसले को सही माना है और उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए आरोपियों को दोषी ठहराकर सजा की बहाली कर दी।
दहेज एक सामाजिक बुराई
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि दहेज की मांग वाली सामाजिक बुराई से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता में धारा 304बी का प्रावधान किया गया था। धारा 304बी के प्रावधान समाज में निवारक के रूप में काम करने और जघन्य अपराध पर अंकुश लगाने के लिए हैं।
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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में दहेज से संबंधित कम से कम 6,966 मौतें हुईं और 7,045 दहेज उत्पीडऩ की रिपोर्ट दर्ज की गईं।