जुबिली न्यूज डेस्क
बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने एक फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है। कर्मचारी पर एक कर्जदार से कर्ज चुकाने की मांग करने पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था।
इस मामले में अदालत ने कहा ये कमर्चचारी के कर्तव्य का हिस्सा था। यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने कर्जदार को जीवन खत्म करने के लिए उकसाया। उसका मकसद कर्जदार को आत्महत्या के लिए उकसाने या प्रेरित करने के लिए नहीं था।
न्यायमूर्ति विनय देशपांडे और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता रोहित नलवड़े केवल अपने कर्तव्य का पालन कर रहा था और उधार लेने वाले प्रमोद चौहान से इसे वसूल करने का प्रयास कर रहा था।
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मालूम हो कि प्रमोद चौहान ने बाद में आत्महत्या कर ली थी और और सुसाइड नोट में याचिकाकर्ता पर कर्ज की रकम के लिए वसूली के लिए उसे परेशान करने का आरोप लगाया था।
इस मामले में रोहित नलवड़े के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने वाला) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा कि आरोप केवल इस प्रभाव के हैं कि आवेदक (नलवडे) ने बकाया कर्ज की मांग की, फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी के रूप में यह उसकी नौकरी का हिस्सा था।
पीठ ने कहा कि बकाया कर्ज की रकम की मांग करने को किसी भी प्रकार से आत्महत्या के लिए उकसाने वाला नहीं कहा जा सकता है।
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