नई दिल्ली. भारतीय महिला मुक्केबाजी सितारों-लवलीना बोरगोहेन, परवीन हुड्डा, स्वीटी बूरा और अल्फिया पठान ने शुक्रवार को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में जारी 2022 एएसबीसी एशियाई इलीट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने-अपने भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीत भारत का वर्चस्व बनाए रखा है।
2020 टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना ने उज्बेकिस्तान की 2021 एशियाई चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता रुज़मेतोवा सोखीबा पर अपना दबदबा बनाया और 75 किग्रा भार वर्ग के फाइनल में ताकत, एथलेटिक कला और शानदार डिफेंस का प्रदर्शन करते हुए 5-0 से एकतरफा अंदाज में जीत हासिल की।
लवलीना की ही तरह परवीन (63 किग्रा), जो एशियाई चैंपियनशिप के फाइनल में भी अपनी पहली उपस्थिति दर्ज करा रही थीं, जापान की किटो माई के खिलाफ आत्मविश्वास से भरी दिख रही थी। 2022 विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता रोहतक में जन्मी इस मुक्केबाज ने अपने जापानी प्रतिद्वंद्वी को 5-0 से हराकर अपने लिए सोना जीत लिया।
2016 विश्व चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता स्वीटी (81 किग्रा) एशियाई चैंपियनशिप में अपने दूसरे फाइनल में कजाकिस्तान की गुलसाया येरज़ान से भिड़ रही थीं। 2016 के फाइनल में हार का सामना करने के बाद, स्वीटी इस बार एक और रजत के लिए समझौता करने के मूड में नहीं दिख रही औऱ यही कारण था कि स्वीटी ने 5:0 के अंतर से बाउट अपने नाम कर बीते संस्करण की निराशा को पीछे छोड़ दिया।
स्थानीय दावेदार इस्लाम हुसैली के खिलाफ, अल्फिया (81+ किग्रा) ने महिला वर्ग में भारत को उस समय अपना चौथा स्वर्ण पदक दिलाया, जब उनकी प्रतिद्वंद्वी को पहले राउंड के अंत में जजों द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया गया।
2005 में सात स्वर्ण पदक और 2003 में पांच स्वर्ण पदक जीतने के बाद स्वर्ण पदक जीतने के मामले में इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में यह भारतीय महिलाओं का अबव तक का तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
इस बीच, नवोदित मीनाक्षी (52 किग्रा) ने रजत पदक के साथ संतोष किया क्योंकि वह 2017 युवा विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता जापान की किनोशिता रिंका के खिलाफ फाइनल में 1-4 से हार गईं।
शनिवार को एशियाई चैंपियनशिप के पांच बार के पदक विजेता शिवा थापा (63.5 किग्रा) उज्बेकिस्तान के अब्दुल्लाव रुस्लान के खिलाफ रिंग में उतरते हुए अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश करेंगे। अपने लिए छठा पदक बुक करने के बाद, थापा इस इवेंट के इतिहास में सबसे सफल पुरुष मुक्केबाज बन चुके हैं।