जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस वक्त सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। केंद्र में वो करीब दस साल से सत्ता से बेदखल है जबकि कई राज्यों में अब उसकी सरकार जा चुकी है।
वहीं कांग्रेस के हाथ से कई नेता निकल चुके हैं। दरअसल लगातार मिल रही हार से कांग्रेस के कुनबे में ही रार देखने को मिल रही है। कांग्रेस पार्टी से कई बड़े दिग्गजों ने किनारा कर लिया है और फिर या तो बीजेपी में चले गए है या फिर उन्होंने अपनी पार्टी बना ली है।
बीते दस सालों में कांग्रेस के कई ऐसे नेता है जो कांग्रेस में रहकर सीएम तक रहे हैं लेकिन अब वो कांग्रेस से अपना हाथ खींच रहे हैं। भले ही कमलनाथ ने अभी कांग्रेस छोड़ने का ऐलान नहीं किया हो लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पिछले 10 साल में बीजेपी में कांग्रेस के कई पूर्व सीएम शामिल हुए ।
लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ 90 दिन ही शेष बचे हुए है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी का कुनबा पूरी तरह से बिखरा हुआ नजर आ रहा है। कई ऐसे कांग्रेस के दिग्गज है जिन्होंने इस साल या फिर उससे पहले कांग्रेस को अलविदा कहा है। इतना ही नहीं कुछ बीजेपी में शामिल हो गए जबकि कुछ ने अपनी पार्टी बना ली।
जैसे गुलाम नबी आजाद बीजेपी में शामिल नहीं हुए, उन्होंने अपनी पार्टी बना ली, जबकि नारायण राणे को 1999 में बाल ठाकरे ने सीएम बनाने का फ़ैसला लिया था, लेकिन वह 2005 में शिवसेना छोडक़र कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसके बाद वो भी बीजेपी में शामिल हो गए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने हाल ही में बीजेपी में शामिल हो गए है। वो कांगे्रस के पुराने नेता रहे हैं लेकिन इसी महीने की 12 फरवरी को पार्टी छोड़ दी थी ।
शुरुआती दिनों में उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया लेकिन अगले ही दिन बीजेपी में शामिल हुए और अब राज्यसभा के लिए उनको भेजने की तैयारी है। पंजाब की सियासत में बड़ा चेहरा माने जाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साल 2021 सितंबर में कांग्रेस से किनारा कर लिया था। इस वजह पंजाब में कांग्रेस पार्टी अब एकदम से कमजोर हो गई है।
किसी जमाने में राजीव गांधी के खास रहने वाले अमरिंदर के रिश्ते बाद में कांग्रेस पार्टी बेहद खराब हो गए थे और इसका नतीजा ये हुआ कि साढ़े चार साल के बाद पंजाब की सियासत ने करवट ली और कैप्टन को सीएम की कुर्सी से हाथ धोना पड़ गया था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर लिया। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने मई 2016 में बीजेपी का दामन थामा था। वो भी किसी जमाने में कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद चेहरा माने जाते थे। वहीं कर्नाटक के एसएम कृष्णा ने भी साल 2017 में कांग्रेस से किनारा करते हुए बीजेपी में शामिल हो गए थे वो 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे लेकिन बाद में उन्होंने कांग्रेस को दांव दे दिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे।
कृष्णा महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रह चुके हैं. हालांकि एसएम कृष्णा सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुके हैं। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने साल 2023 में कांग्रेस से इस्तीफा दिया था और फिर नई पार्टी बना डाली लेकिन 2018 में फिर से कांग्रेस में वापसी की थी।
हालांकि अब वो बीजेपी में शामिल हो गए। अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी किसी जमाने में कांग्रेस पार्टी का अहम हिस्सा हुआ करते थे लेकिन दिसंबर 2016 में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) के 32 विधायकों के साथ वो भाजपा में शामिल हुए थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के करीबी रहे गुलाम नबी आजाद ने अगस्त, 2022 में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि वो बीजेपी में शामिल नहीं हुए बल्कि उन्होंने अपनी खुद की पार्टी बना ली।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के और विकेट गिर सकते हैं इसकी संभावना इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है।