जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. वह राजस्थान की सड़कों पर झाडू लगाती थी. उसके कन्धों पर दो मासूम बच्चो के पालन पोषण की ज़िम्मेदारी थी. पति उससे किनारा करके अलग हो चुका था लेकिन अपने नाम के अनुरूप उसने आस नहीं छोड़ी. आशा नाम की इस महिला ने सड़कों पर झाड़ू लगाने के कम को जारी रखते हुए पढ़ाई की और इस साल के राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा के नतीजे आये तो आशा कंडारा उसमें कामयाब हो चुकी है. अब वह पूरी शान के साथ मजिस्ट्रेट के रूप में काम करेगी.
पति से अलग होने के बाद आशा ने दोबारा से पढ़ाई शुरू की और 2016 में ग्रेजुएट हो गई. 2018 में उसने राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी. इस परीक्षा का नतीजा इसी 13 जुलाई को आया तो आशा ने अपनी मेहनत के बल पर कामयाबी का आसमान चूम लिया.
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आशा कहती हैं कि मुझे लैंगिक पूर्वाग्रह से लेकर जातिगत भेदभाव झेलने को मजबूर होना पड़ा. अपने परिवार को बिखरते हुए देखना पड़ा लेकिन गोद में दो बच्चे आ चुके थे इसलिए उनकी ज़िन्दगी बनाना एक बड़ी ज़िम्मेदारी थी जो सड़कों पर झाडू लगाते हुए निभाना बहुत मुश्किल काम था. इसी वजह से किताबों से दोस्ती की. खूब मेहनत से पढ़ाई की और अपनी मंजिल हासिल कर ली. अपनी कामयाबी पर मुस्कुराती हुई आशा कहती हैं कि अब नाइंसाफी से लड़ने वालों को इन्साफ दिलाने का काम करूंगी.