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उत्तर प्रदेश में बांदा के जिलाधिकारी को उस समय असहज स्थिति का सामना करना पड़ा, जब आशा बहुओं के सम्मेलन में एक आशा बहू ने खचाखच भरे सभागार में प्लास्टिक के थैले बांटे जाने पर सवाल खड़ा कर दिया।
बता दें कि मंगलवार को बांदा के राजकीय मेडिकल कॉलेज के सभागार में स्वास्थ्य विभाग की ओर से आशा बहुओं का सम्मेलन आयोजित किया गया था।
सम्मेलन में बांदा के जिलाधिकारी हीरालाल अपने संबोधन में महिलाओं से प्लास्टिक की थैली या उससे बनी अन्य वस्तुओं का उपयोग नहीं करने की अपील कर रहे थे।
इसी बीच अमारा गांव की आशा बहू शकुंतला ने सम्मेलन में ही विभाग की तरफ से बांटे गए प्लास्टिक के थैले को लहराते हुए उनसे सवाल दाग दिया कि जब प्लास्टिक से परहेज करना है तो फिर आपने यहां प्लास्टिक के थैले क्यों बंटवाए हैं?
आशा बहू की ओर से किए गए इस सवाल पर जिलाधिकारी कुछ देर के लिए सोच में पड़ गए फिर उन्होंने महिला को मंच पर बुलाया और कहा, “मैं इस महिला की हिम्मत को दाद देता हूं। कम से कम इसने एक जिलाधिकारी को टोकने की हिम्मत दिखाई।”
जिलाधिकारी ने वहां मौजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को दोबारा से जूट के थैले बंटवाने के निर्देश दिए। बाद में जिलाधिकारी हीरालाल ने मीडिया से कहा कि कम से कम महिलाएं अब इतना तो सशक्त हो ही गई हैं कि जिलाधिकारी से भी सवाल कर सकती हैं और उन्हें टोंक सकती हैं।
कार्यक्रम समापन के बाद डीएम को खचाखच भरे सभागार में शर्मसार करने वाली आशा बहू शकुंतला भी मीडिया से मुखातिब हुईं और एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब जिलाधिकारी प्लास्टिक का उपयोग पूर्णतया बंद करने की बात कह रहे थे, तब अपने हाथ में प्लास्टिक का थैला देख अचानक उनको जिलाधिकारी को टोकने की हिम्मत आ गई थी। हालांकि, आशा बहू शकुंतला ने बर्खास्त होने के डर की बात भी कही।
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