स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र (PRC) दिए जाने को लेकर अरुणाचल प्रदेश में चल रहे विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया है। प्रदर्शनकारियों ने सीएम पेमा खांडू , डिप्टी सीएम चाउना मेन के घर समेत फ़िल्ममेकर और एक्टर सतीश कौशिक के पांच थिएटर जला दिए। डिप्टी कमिश्नर का ऑफिस तोड़ दिया गया। हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए अरुणाचल में ITBP की 15 कंपनियां तैनात की गई हैं।
सीएम पेमा खांडू ने कहा कि उन्होंने इस घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही, खांडू ने इस घटना में कुछ लोगों का हाथ होने की आशंका जाहिर की है। उन्होंने विरोध प्रदर्शन के बाद छह समुदास को स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र देने के प्रस्ताव पर रोक लगा दी है।
इस बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। वहीं, केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार इसपर बिल नहीं ला रही थी। उन्होंने कहा कि मंत्री नाबाम रेबिया के नेतृत्व में बनी JHPC की रिपोर्ट विधानसभा में पेश होने वाली थी।
दो युवकों की मौत के बाद भड़की हिंसा
गौरतलब है कि, अरुणाचल प्रदेश में बाहरी राज्यों से आए छह समुदायों को पीआरसी देने की सिफारिश का विरोध किया जा रहा था। इसी दौरान विरोध कर रहे लोगों को काबू करने के लिए आईटीबीपी के जवानों ने हवाई फायरिंग की जिसमें दो युवकों की मौत हो गई।
इस घटना के बाद प्रदर्शनकारी हिंसक हो उठे। उन्होंने ईटानगर में कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की साथ ही कई बिल्डिंग को भी आग के हवाले कर दिया गया।
ईटानगर में इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल
सतीश कौशिक ईटानगर में इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल में शामिल होने आए थे। यहां के थिएटर चेन से सतीश बतौर प्रमोटर जुड़े हुए हैं। उन्होंने आगजनी का एक फोटो शेयर करते हुए बताया कि हम ईटानगर में फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने आए थे।
इस्तीफ़ा दे सकते हैं सीएम
अरुणाचल में हिंसा भड़कने के बाद सैकड़ों की तादाद में प्रदर्शनकारी सड़कों पर आ गए हैं। हालात बिगड़ते देख इंटरनेट सुविधा रोक दी गई है। कहा जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू इस्तीफ़ा दे सकते हैं। साथ ही प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है।
राज्य सरकार ने क्या किया?
बीजेपी सरकार में मंत्री नाबाम रेबिया के नेतृत्व में एक जॉइंट हाई पावर कमेटी (JHPC) ने विभिन्न लोगों से बात करके छह गैर-अरुणाचल प्रदेश अनुसूचित जनजाति (APST) के समुदायों को स्थायी निवास प्रमाण-पत्र देने का प्रस्ताव पेश किया, जो अरुणाचल के स्थायी निवासी नहीं हैं, लेकिन नामसाई और चांगलांग के जिलों में दशकों से रह रहे हैं।
कौन हैं ये छह समुदाय?
ये समुदाय नामसाई और चांगलांग जिलों में रहते हैं। इन समुदायों में देवरिस, सोनोवाल कछारी, मोरान, आदिवासी और मिशिंग शामिल हैं। इनके अलावा विजयनगर में रहने वाले गोरखा भी इस प्रस्ताव में शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर समुदाय पड़ोसी राज्य असम में अनुसूचित जनजाति के रूप में दर्ज हैं।
क्यों हो रहा है विरोध?
अरुणाचल प्रदेश के कई समुदायों के संगठन राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर गुस्सा हैं। स्थानीय लोगों को लगता है कि इनको स्थायी निवास प्रमाण-पत्र मिलने से उनके अधिकारों और हितों के साथ समझौता होगा।
बताते चले कि स्थायी निवास प्रमाण-पत्र एक कानूनी दस्तावेज है। यह उन भारतीय नागरिकों को प्रदान किया जाता है जो देश में रहने का कोई प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। कई सरकारी सुविधाओं को लेने और दूसरे जरूरी कामों में इस प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ती है। अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि इस प्रस्ताव से स्थानीय निवासियों के अधिकार प्रभावित होंगे।