Wednesday - 30 October 2024 - 2:22 AM

कोर्ट ने कहा- लगातार पाबंदियां लगाना सत्ता का दुरुपयोग

न्‍यूज डेस्‍क

जम्‍मू–कश्‍मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कानून व्‍यवस्‍था को सही बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने जम्‍मू कश्‍मीर में लगी सभी तरह की पाबंदियों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा करने को आदेश दिया है।

कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से बैंकिंग, अस्पताल, शिक्षण संस्थानों समेत सभी जरूरी सेवाएं देने वाले संस्थानों में इंटरनेट सेवा बहाल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि इंटरनेट को सरकार अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं कर सकती।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट लोगों के लिए अभिव्यक्ति की आजादी जैसा है और यह मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने कहा, ‘इंटरनेट का इस्तेमाल संविधान के आर्टिकल 19 के तहत दिए गए अधिकार के तहत ही है।’ इसे लंबे समय तक बंद नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ठोस वजह के बिना इंटरनेट बंद नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह तुरंत ई-बैंकिंग और ट्रेड सर्विस को शुरू करे।

इस दौरान अदालत ने सरकार के फैसलों पर सवाल खड़े किए और धारा 144 के तहत जो भी रोक लगाई गई हैं, उन्हें सार्वजनिक पब्लिश करने को कहा गया है। इसके साथ ही 7 दिन के अंदर इन फैसलों का रिव्यू करने का आदेश दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट सरकार के तर्कों से संतुष्ट नहीं दिखा।

जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी आर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि लगातार धारा 144 का गलत इस्तेमाल किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धारा 144 का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है, कोर्ट ने कहा कि धारा 144 को अनंतकाल के लिए नहीं लगा सकते हैं, इसके लिए जरूरी तर्क होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि कश्मीर में व्यक्ति की आजादी सबसे अहम है। कश्मीर में हमारी प्राथमिकता लोगों की स्वतंत्रता और सुरक्षा देना है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें स्वतंत्रता और सुरक्षा में संतुलन बनाए रखना होगा। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा भी जरूरी है। इंटरनेट को जरूरत पड़ने पर ही बंद किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का अंग है। इंटरनेट इस्तेमाल की स्वतंत्रता भी आर्टिकल 19 (1) का हिस्सा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि धारा 144 का इस्तेमाल किसी के विचारों को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता।

बता दें कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद वहां लगाए गए प्रतिबंधों को 21 नवंबर को सही ठहराया था। केंद्र ने अदालत में कहा था कि सरकार के एहतियाती उपायों की वजह से ही राज्य में किसी व्यक्ति की न तो जान गई और न ही एक भी गोली चलानी पड़ी।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com