शबाहत हुसैन विजेता
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाये जाने के बाद मुल्क में खुशी, पाकिस्तान में ग़म और कश्मीर में तनाव का माहौल है। जम्मू-कश्मीर में कोई हादसा पेश न आये इसके मद्देनजर भारत सरकार ने घाटी में फौज की तादाद को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। मुल्क खुश है कि धरती का स्वर्ग अब किसी भी तरह के शिकंजे में नहीं है। प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि जम्मू कश्मीर के लोगों को अब देश के बाकी राज्यों की तरह से हर सहूलियत मुहैया करायी जायेगी। बाकी राज्यों की तरह से इस सूबे के लोग भी पढ़ लिखकर रोजगार हासिल करेंगे।
धारा 370 हटाये जाने के बाद पाकिस्तान सबसे ज्यादा दबाव में है। पाकिस्तानी अवाम ने प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री को इसके लिये जिम्मेदार ठहराया है। पाकिस्तान में लोग सड़कों पर हैं और हंगामा कर रहे हैं। पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर भी सरकार के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि भारत सरकार ने धारा 370 हटाई तो एक दिन में नहीं हटाई। इसके लिये तो भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में वादा किया था। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इस मुद्दे को सीरीयसली नहीं लिया। नतीजा यह हुआ कि आज हिन्दुस्तान के साथ पूरी दुनिया खड़ी है, और पाकिस्तान के साथ कोई भी नहीं है।
पाकिस्तान का इल्जाम है कि हिन्दुस्तान ने यह बड़ा फैसला इजराइल की मदद से लिया है। बाकी ताकतवर मुल्क भी इस मुद्दे पर भारत के साथ हैं। पाकिस्तान में उठ रहे गुस्से के ज्वार को भारत सरकार को हल्के में नहीं लेना चाहिये क्योंकि पाकिस्तान के एक संगठन ने भारत के साथ गोरिल्ला युद्ध करने का एलान किया है। वह संगठन कितना ताकतवर है इसका अंदाजा तो उसके सामने आने पर ही होगा लेकिल सरकार और सुरक्षा एजेन्सियों को इस मुद्दे को किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लेना चाहिये।
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धारा 370 हटने के बाद हिन्दुस्तान के लोगों तक पहुंचने वाली खबरों की बात करें तो अखबार और टेलीविजन जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से अमन की खबरें दे रहे हैं लेकिन सोशल मीडिया पर बीबीसी के हवाले से एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें 370 के खिलाफ सड़कों पर जबरदस्त प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारियों को सुरक्षाकर्मी दौड़ा रहे हैं और गोलियां चलने की आवाज सुनाई दे रही है। हालांकि इस वीडियो को पुराना बताया जा रहा है, और घाटी में पूरी तरह से अमन की बात कही जा रही है लेकिन बकरीद से ठीक एक दिन पहले श्रीनगर में दोबारा से कर्फ्यू लगने से इस बात की चुगली तो हो ही रही है कि कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं है।
आजादी के बाद से लगातार कश्मीर सुलग रहा है। केन्द्र में सरकारें बदलती रहीं। जम्मू-कश्मीर में भी सरकारें बनीं लेकिन कश्मीर के हालात बेहतर नहीं हो पाये। जम्मू-कश्मीर में अमन कायम करने के लिये पाकिस्तान सरकार से भी कई दौर की बातचीत हुई। भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौता भी हुआ।
शिमला समझौते के वक्त जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भी मौजूद थीं। बाद में बेनजीर भी प्रधानमंत्री बनीं। हिन्दुस्तान में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। राजीव गांधी और बेनजीर भुट्टो के बीच ट्यूनिंग भी ठीक थी और राजीव गांधी का सबसे ज्यादा ध्यान दुनिया भर के नेताओं से भारत के रिश्तों को बेहतर बनाने पर केन्द्रित था। लेकिन इसके बावजूद जम्मू-कश्मीर का मुद्दा हल नहीं हो पाया।
भारत सरकार ने धारा 370 को हटाने का फैसला ठीक ऐसे वक्त पर लिया जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमरीकी राष्ट्रपति से कश्मीर मसले पर मध्यस्थता की बात कर रहे थे। पाकिस्तान का मानना था कि अमरीका के इस मामले में मध्यस्थ बन जाने के बाद यह मसला 25-30 साल और आगे तक के लिये खिसक जायेगा लेकिन जब कश्मीर में अचानक फौजियों की संख्या बढ़ाई जाने लगी तो भारत के साथ ही पाकिस्तान भी यह समझ गया कि कुछ बड़ा होने वाला है।
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जब कश्मीर से विदेशी टूरिस्ट वापस लौटाये जाने लगे तब तो पड़ोसी देश की सांसें टंगी रह गयीं कि आखिर क्या होने वाला है लेकिन जब अचानक धारा 370 को खत्म किये जाने का एलान हुआ को पाकिस्तान की अवाम का गुस्सा अपनी सरकार पर फूट पड़ा। यह गुस्सा तब और बढ़ गया जब कई देशों ने इस फैसले को सही ठहरा दिया।
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धारा 370 को खत्म किये जाने का फैसला निसंदेह शानदार फैसला है लेकिन भारत सरकार को इस फैसले से पहले सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिये थी ताकि इतने बड़े फैसले पर अपने ही घर में सवाल न उठें। प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर 8 अगस्त को रात 8 बजे जो संबोधन दिया वह जम्मू-कश्मीर के लोगों को सुनवाने का इंतजाम भी करना चाहिये था। पीएम मोदी ने 8 अगस्त को राष्ट्र से जो बातें कीं वह कोई सुनता या न सुनता लेकिन उसे कश्मीरियों को जरूर सुनना चाहिये था लेकिन जिन लोगों को धारा 370 हटने का फायदा पहुंचने वाला है उन्हें अभी भी पता नहीं है कि इससे उन्हें क्या फायदा है और क्या नुकसान है।
धारा 370 हटाये जाने के बाद सबसे ज्यादा गैरजिम्मेदाराना रवैया सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वालों का रहा। जो समय कश्मीरियों के साथ खड़े रहने का था उस समय में लोग कश्मीर में प्लाट खरीदने और वहां शादी करने की बात कर रहे थे। यह न सिर्फ शर्मनाक बात थी बल्कि जिस वक्त कश्मीरियों को हमारे साथ की सबसे ज्यादा जरूरत थी उस वक्त उनके साथ वह सलूक किया गया जो पाकिस्तान लगातार करता रहा है।
बहरहाल धारा 370 हट चुकी है। आने वाले दिनों में कर्फ्यू भी खत्म हो जायेगा। उप राज्यपाल की नियुक्ति हो ही गयी है। चुनाव भी हो जाएंगे और सरकार भी गठित हो जाएगी लेकिन इस सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कश्मीर मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एक प्लेटफार्म पर खड़े हों ताकि पाकिस्तान को यह संदेश चला जाये कि भारत का यह फैसला अब नहीं बदलेगा और अब भी अगर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मानवाधिकार का हनन होता रहा तो घाटी का सुकून लौटाने के लिये धारा 370 से बड़ा फैसला भी लिया जा सकता है और उस फैसले के वक्त भी सोचने और समझने का वक्त नहीं होगा।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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