अविनाश भदौरिया
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 व 35ए को निष्प्रभावी किए जाने और जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख को केंद्र शासित क्षेत्र बनाए जाने के फैसले की देशभर में सराहना हुई। ज्यादातर लोग मोदी सरकार के इस फैसले से खुश नजर आए यहां तक की विपक्ष भी इस मामले में बिखरा हुआ नजर आया। कांग्रेस के ही कई बड़े नेताओं ने इस फैसले का समर्थन किया।
इस फैसले के बाद गृह मंत्री अमित शाह को लेकर भी सोशल मीडिया में जमकर मीम्स बनाए गए। उन्हें एक मजबूत इच्छाशक्ति वाला और ताकतवर नेता बताया गया। वहीं कुछ लोगों ने एनएसए अजीत डोभाल को भी कश्मीर समस्या के समाधान के लिए नायक बताया।
हालांकि इस पूरे मामले का असली नायक जो है उसको लेकर कोई खास चर्चा नहीं हुई। यह नायक हैं जम्मू-कश्मीर के वर्तमान गवर्नर ‘सत्यपाल मालिक’। जी हां सही मायने में कश्मीर को लेकर जो फैसला हुआ है उसके बाद से अभी भी घाटी के हालात संवेदनशील बने हुए हैं। लेकिन इन हालातों में वहां की स्थिति को जिस तरह से कण्ट्रोल किया गया है उसके लिए मालिक की जितनी प्रशंसा की जाए कम होगी।
बता दें कि सत्यपाल मालिक को जम्मू-कश्मीर का गवर्नर बने अभी एक साल भी पूरा नही हुआ है। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 21 अगस्त 2018 को जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल नियुक्त किया था। जब मालिक को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया तो उन्होंने कहा था कि, कश्मीरी नेताओं से मेरे निजी संबंध है, पीएम की सोच पर अमल करना है और लोगों का भरोसा जीतना है। कश्मीर की जनता पर मुझे पूरा भरोसा है।
सत्यपाल मालिक का यह बयान अब सही साबित होता दिख रहा है। क्योंकि उन्हें शायद जिस उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया था वह उद्देश्य पूरा हो चुका है। साथ ही इतने बड़े फैसले के बाद अब घाटी में जन जीवन भी धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है।
कौन है ‘सत्यपाल मालिक’
बागपत के हिसावदा गांव में एक गरीब परिवार में सत्यपाल मलिक का जन्म हुआ था। उनके पिता बुध सिंह एक किसान थे। बुध सिंह के निधन के बाद सतपाल मलिक का पालन पोषण उनकी माता जगबीरी देवी ने किया था।
सत्यपाल मलिक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान में जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल हैं। 30 सितम्बर 2017 से 21 अगस्त तक बिहार राज्य के राज्यपाल रहे। इससे पहले अलीगढ़ सीट से 1989 से 1991 तक जनता दल की तरफ से सांसद रहे। 1996 में समाजवादी पार्टी की तरफ से फिर चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
खास बात यह है कि मलिक करीब-करीब सभी राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े रहे हैं। उन्होंने लोहिया से प्रेरणा लेकर राजनीति की शुरुआत की तो वहीं कांग्रेस से लेकर वर्तमान में बीजेपी तक हर पार्टी के साथ काम करने का अनुभव है।
मालिक ने मेरठ के कॉलेज से बीएससी और कानून की पढ़ाई की है। वह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्हें पुस्तकें पढने और फोटोग्राफी का शौक है।
सत्यपाल मलिक अभी अपने एक बयान को लेकर सुर्ख़ियों में हैं। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की हिंसा होने संबंधी टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को कश्मीर का दौरा कराने और जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए वह विमान भेजेंगे।
सत्यपाल मालिक का राजनीतिक यात्रा
• वर्ष 1974 में लोक दल में शामिल हुए।
• वर्ष 1974 में उत्तर प्रदेश के बागपत से भारतीय क्रांति दल के विधायक बने।
• वर्ष 1984 में कांग्रेस में शामिल हुए।
• वर्ष 1984 में राज्यसभा के सांसद बने।
• वर्ष 1987 में बोफोर्स घोटाले के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
• वर्ष 1988 में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली पार्टी जनता दल में शामिल हुए।
• वर्ष 1989 में अलीगढ़ से सांसद बने।
• वर्ष 2004 में भाजपा में शामिल हुए।
• वर्ष 2017 में बिहार के राज्यपाल बने।
• वर्ष 2018 में ओडिशा के 2 महीने तक अंतरिम गवर्नर रहे।
• वर्ष 2018 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने।