जुबिली न्यूज डेस्क
भगवत गीता और कौटिल्य का अर्थशास्त्र कितना प्रासंगिक है यह सभी जानते हैं। इसकी प्रासंगिकता को देखते हुए भारतीय सशस्त्र बलों को अब भगवद गीता और कौटिल्य के अर्थशास्त्र को सिखाया जाएगा।
सिकंदराबाद मुख्यालय स्थित कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट इस पर रिसर्च भी कर रहा है। ऐसा अनुमान है कि जल्द ही इसे सेना के सिलेबस में शामिल किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान से प्रेरित होकर सिकंदराबाद मुख्यालय स्थित कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट इस पर रिसर्च कर रहा है। कॉलेज में उन प्राचीन भारतीय ग्रथों पर शोध चल रहा है, जिससे आधुनिक युद्ध और सैन्य प्रशासन में मदद मिल सके। इसके लिए भगवद गीता और कौटिल्य के अर्थशास्त्र की सिफारिश की गई है।
इस मामले में दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि गीता रणनीतियों, युद्ध, जीवन की नैतिकता में ज्ञान और सैन्य सिद्धांत का खजाना है। भगवत गीता से अधिकारियों और जवानों को आधुनिक युद्ध के लिए एक स्वदेशी दृष्टिकोण मिलेगा।
उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत के कई अद्भुत ग्रंथों में से एक ग्रंथ है अर्थशास्त्र। इसे पढऩे और समझने से राजनीति, सैन्य सोच और बुद्धि में एक अलग ही चमक प्रदान होती है।
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नाम न बताने की शर्त पर अन्य दो सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि ये सच है, इस पर व्यापक शोध भी चल रहा है। उन्होंने अधिक विवरण तो नहीं दिया लेकिन इतना जरूर कहा कि परियोजना पर काम जारी है। ये कब शुरू होगा फिलहाल ये पता नहीं।
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“प्राचीन भारतीय संस्कृति और युद्ध तकनीक के गुण और वर्तमान में रणनीतिक सोच और प्रशिक्षण में इसका समावेश” शीर्षक वाली परियोजना के तहत इन ग्रंथों को सेना के लिए लाने की तैयारी चल रही है।
नेटवर्क 18 के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों में रणनीतिक सोच और नेतृत्व के लिए चुनिंदा प्राचीन भारतीय ग्रंथों की खोज करना है। साथ ही उनसे सर्वोत्तम विचारों को अपनाने के लिए एक रोडमैप स्थापित करना है, जो वर्तमान समय में जरूरी है।