न्यूज़ डेस्क
पूर्व कांग्रेस नेता और शाह बानो केस में राजीव गांधी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले आरिफ मोहम्मद खान को मोदी राज में केरल का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। इसके अलाव राजस्थान समेत कई राज्यों के राज्यपाल को बदला गया है।
कलराज मिश्र को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया है। इससे पहले यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल थे। टी सुंदरराजन को तेलंगाना का गर्वनर नियुक्त किया गया है। वहीं बण्डारू दत्तारेय को हिमाचल प्रदेश का राज्यसपाल बनाया गया है। भगत सिंह कोशियारी महाराष्ट्र के राज्यपाल होंगे। तमिलिसाई सुंदरराजन को तेलंगाना का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
Kalraj Mishra, Governor of Himachal is transferred & appointed as Governor of Rajasthan. Bhagat Singh Koshyari appointed as Governor of Maharashtra, Bandaru Dattatreya as Governor of Himachal, Arif Mohammed Khan as Guv of Kerala, Tamilisai Soundararajan as Governor of Telangana pic.twitter.com/oKOe8xUOOz
— ANI (@ANI) September 1, 2019
बता दें कि आरिफ़ मोहम्मद खान ने मोदी सरकार का ट्रिपल तलाक़ और जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने का समर्थन किया था।
Arif Mohd Khan on being appointed as Guv of Kerala: It’s an opportunity to serve. Fortunate to be born in a country like India which is so vast&rich in diversity. It’s a great opportunity for me to know this part of India, which forms boundary of India&is called god’s own country pic.twitter.com/LZmF1FRN3Y
— ANI (@ANI) September 1, 2019
कौन हैं आरिफ मोहम्मद खान
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 1951 में जन्मे आरिफ मोहम्मद खान का परिवार बाराबस्ती से ताल्लुक रखता है। बुलंदशहर ज़िले में 12 गांवों को मिलाकर बने इस इलाके में शुरुआती जीवन बिताने के बाद खान ने दिल्ली के जामिया मिलिया स्कूल से पढ़ाई की। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और लखनऊ के शिया कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की।
छात्र जीवन से ही खान राजनीति से जुड़ गए। भारतीय क्रांति दल नाम की स्थानीय पार्टी के टिकट पर पहली बार खान ने बुलंदशहर की सियाना सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। फिर 26 साल की उम्र में 1977 में खान पहली बार विधायक चुने गए थे।
कब कांग्रेस में शामिल हुए आरिफ?
विधायक बनने के बाद खान ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली और 1980 में कानपुर से और 1984 में बहराइच से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने. इसी दशक में शाह बानो केस चल रहा था और खान मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के ज़बरदस्त समर्थन में मुसलमानों की प्रगतिशीलता की वकालत कर रहे थे, लेकिन राजनीति और मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग इन विचारों के विरोध में दिख रहा था।
1986 में शाहबानो मामले में राजीव गांधी और कांग्रेस के स्टैंड से नाराज़ होकर खान ने पार्टी और अपना मंत्री पद छोड़ दिया। इसके बाद खान ने जनता दल का दामन थामा और 1989 में वो फिर सांसद चुने गए। जनता दल के शासनकाल में खान ने नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में काम किया, लेकिन बाद में उन्होंने जनता दल छोड़कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा।
बसपा के टिकट से 1998 में वो फिर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। फिर 2004 में, खान ने भारतीय जनता पार्टी जॉइन की। भाजपा के टिकट पर कैसरगंज सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। फिर 2007 में उन्होंने भाजपा को भी छोड़ दिया क्योंकि पार्टी में उन्हें अपेक्षित तवज्जो नहीं दी जा रही थी। बाद में, 2014 में बनी भाजपा की केंद्र सरकार के साथ उन्होंने बातचीत कर तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाए जाने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई।
क्या था शाहबानो केस?
अस्ल में, 1978 में पेशे से वकील अहमद खान ने अपनी पहली पत्नी शाह बानो को तीन बार तलाक कहकर तलाक दे दिया था। शाह बानो समान नागरिक संहिता की दलील लेकर गुज़ारा भत्ता मांगने के लिए अपने पति के खिलाफ अदालत पहुंच गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने भी शाह बानो के पक्ष में फैसला दिया था लेकिन सालों चली इस कानूनी लड़ाई के बीच इस केस पर बहस के चलते मुस्लिम समाज तीन तलाक और मुस्लिम महिला के कोर्ट में जाने के खिलाफ आंदोलित हुआ था।
आरिफ ने की थी पैरवी
जीव गांधी सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान ने शाह बानो के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ज़बरदस्त पैरवी की थी और 23 अगस्त 1985 को लोकसभा में दिया गया खान का भाषण मशहूर और यादगार हो गया था।
आखिरकार, इस केस में हुआ ये कि मुस्लिम समाज के दबाव में आकर राजीव गांधी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ संबंधी एक कानून संसद में पास करवा दिया, जिसने शाह बानो के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी पलट दिया. और तब, खान ने राजीव गांधी के इस स्टैंड के खिलाफ मुखर होते हुए न केवल मंत्री पद से इस्तीफा दिया बल्कि कांग्रेस से भी दामन छुड़ा लिया., कांग्रेस के पूर्व नेता आरिफ मोहम्माद खान बने