जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। नैतिकता का ज्ञान देने वाले राजनीतिक दलों के लिए नीति और नियम कोई मायने नहीं रखते हैं। सड़क, नाली, सफाई और स्ट्रीट लाइट के लिए नगर निगम को प्रस्ताव भेजने वाले राजनैतिक दलों को हाउस टैक्स देने में परहेज है। वहीं नगर निगम भी जनता के बकाए पर भवन सील कर चुका है लेकिन राजनैतिक दलों के कार्यालयों को नोटिस तक नहीं भेजा पाया है।
जानकर हैरानी होती है की सत्ता दाल की पार्टी भी करोड़ो की बकायेदार है। जी हा भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पर कई वषों का 7393153.54 रुपये हाउस टैक्स बकाया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद त्रिलोकनाथ रोड स्थित भाजपा कार्यालय के पुर्ननिर्माण पर करोड़ों खर्च कर दिए गए लेकिन नगर निगम को हाउस टैक्स का भुगतान नहीं किया गया।
पार्टियों पर करोड़ों का टैक्स है बकाया, राजनीतिक दलों ने वर्षो से नहीं जमा किया कार्यालयों का भवन कर
यही हाल सपा, बसपा समेत अन्य राजनीतिक दलों के पार्टी कार्यालयों का है। राज्य संपत्ति विभाग की संपत्तियों पर 47.51 करोड़ का हाउस टैक्स बकाया है। इसमें पिछले वित्तीय वर्ष का ही करीब 5.74 करोड़ रुपये टैक्स नहीं जमा किया गया है।
पार्टी कार्यालय पर लाखों के हाउस टैक्स को लेकर कोई फिक्र नहीं है। समाजवादी पार्टी पर 35.32 लाख और सपा युवजन सभा पर 21.06 लाख का हाउस टैक्स बकाया है। राष्ट्रीय लोकदल पर 25.47 लाख, मकपा मार्क्स पर 11.93 लाख हाउस टैक्स बकाया है। जबकि बहुजन समाज पार्टी के कार्यालय पर 41,65,907 रुपये का हाउस टैक्स बकाया है।
हालांकि नगर निगम ने भुगतान न होने पर सपा, रालोद, बीएसपी और बीजेपी समेत दूसरे दलों के कार्यालयों का भी हाउस टैक्स न देने पर राज्य संपत्ति विभाग को बिल भेजा था, लेकिन अब तक बकाया कर जमा नहीं किया गया है।
विधान भवन भी बड़े बकायेदारों की लिस्ट में शामिल
विधानभवन जहां से प्रदेश की सरकार चलती है और पूरे प्रदेश का बजट तय होता है। इस भवन पर करीब 1.88 करोड़ का हाउस टैक्स बकाया है। बापू भवन पर 4.19 करोड़ का हाउस टैक्स बकाया है। यहां सरकार के मंत्री और शासन के आला अधिकारी बैठकें करते हैं।
नगर निगम को शत प्रतिशत वसूली के आदेश बापू भवन स्थित नगर विकास विभाग से ही दिए जाते हैं।
हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य संपत्ति विभाग से 10 करोड़ नगर निगम को मिले थे। जीएसटी आने के बाद विज्ञापन कर बंद हो गया है। ऐसे में नगर निगम के लिए हाउस टैक्स ही एक मात्र आय का स्त्रोत बचा है। टैक्स से मिलने वाली राशि के जरिए ही निगम कर्मचारियों को वेतन मिलता है। शासन की ओर से टैक्स वसूली के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए थे।
बड़े बकाएदारों के खिलाफ नगर निगम ने कुर्की की कार्रवाई तो शुरू की थी लेकिन सरकारी बकाएदारों पर नकेल कसने में अफसरों के हाथ- पांव कांपते रहे थे। नगर आयुक्त ने भी कई बार बड़े बकायेदारों को नोटिस भेजा गया था ताकि शत प्रतिशत वसूली हो पाए, लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ।
राजनीतिक दलों पर बकाया
भाजपा कार्यालय 73,93,153.54
समाजवादी पार्टी कार्यालय 35,32,454.27
लोकतांत्रिक कांग्रेस 32,42,817.34
राष्ट्रीय लोकदल 25,47,849.65
सपा युवजन कार्यालय 21,06,073
मकपा मार्क्स 11,93,299
अन्य सरकारी भवनों पर बकाए की राशि
विधानभवन 1,88,94,662
योजना भवन 69,42,489
बापू भवन 4,19,99,394
सचिवालय प्रथम 1,50,87,702
सचिवालय द्वितीय 71,85,971