पॉलिटिकल डेस्क।
लोकसभा चुनाव 2019 के पांच चरण के मतदान हो चुके हैं। छठे और सातवें चरण का मतदान होना अभी शेष है। सातवें चरण में यूपी के मिर्ज़ापुर लोकसभा क्षेत्र में मतदान होगा। यहां पर 19 मई को वोटिंग होगी। मिर्ज़ापुर सीट से चुनाव लड़ रही अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल के लिए इस बार का चुनाव बड़ा ही महत्वपूर्ण है।
अनुप्रिया पटेल को एकबार फिर बीजेपी का समर्थन मिला हुआ है। वह पिछले लोकसभा चुनाव में 4,36,536 वोट पाकर जीती थीं। बसपा की समुद्रा देवी बिंद दूसरे स्थान पर रही थीं, उनको 2,17,457 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी थे। उनको 1,52,666 वोट मिले थे।
बता दें कि मिर्ज़ापुर लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभायें आती हैं। जिसमें छानबे (सुरक्षित), चुनार, मिर्जापुर, मड़िहान और मझावन। मझावन सीट पर भाजपा का कब्जा है। छानबे सीट अपना दल के कब्जे में है। चुनार सीट भाजपा के पास है। मड़िहान सीट भाजपा के खाते में है। मिर्जापुर सीट पर भाजपा का कब्जा है।
इस तरह से अगर विधानसभा सीटों को लेकर विश्लेषण किया जाए, तो इस सीट से अनुप्रिया पटेल के सिर पर फिर से जीत का सेहरा बंध सकता है। लेकिन गठबंधन की तरफ से यह सीट सपा के खाते में है और समाजवादी पार्टी ने यहां से राजेंद्र एस बिंद के मैदान में उतारा है।
अगर गठबंधन का वोट और स्वजातीय वोट पूरी तरह से राजेंद्र बिंद के खाते में चाला जाता है, तो अनुप्रिया पटेल के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि मिर्जापुर की राह बहुत ही टेढ़ी है और किसी के लिए भी आसान नजर नहीं आती है।
2014 के मुकाबले इस बार के चुनावी समीकरण कुछ अलग हैं। 2014 में जहां प्रचंड मोदी लहर थी। वहीं अबकी एंटी मोदी माहौल बना हुआ है। 2014 के समय अनुप्रिया पटेल और बीजेपी के बीच रिश्ते जिस तरह थे वह भी इस बार वैसे नहीं हैं।
इसके आलावा कांग्रेस में प्रियंका गांधी की एंट्री और पूर्वांचल में उनके चुनाव प्रचार ने भी अनुप्रिया के खिलाफ चुनाव लड़ रहे ललितेशपति त्रिपाठी को मजबूत किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अनुप्रिया पटेल को इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार ललितेशपति त्रिपाठी से कड़ी टक्कर मिल रही है।
अनुप्रिया पटेल सोन लाल पटेल की बेटी हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में स्थित अपना दल राजनीतिक पार्टी की स्थापना की थी।