न्यूज डेस्क
आर्थिक मोर्चे पर घिरी केन्द्र सरकार को एक और झटका लगा है। गुरुवार को मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 5.8 प्रतिशत से घटाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया है।
मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कहा कि जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में नरमी अपेक्षा के विपरीत लंबी अवधि तक खिंच गई है, जिसके वजह से उसे अपने अनुमान को कम करना पड़ा है।
क्रेडिट रेटिंग और शोध सेवा सेवा देने वाली कंपनी ने कहा, ‘हमने भारत के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है। हमारा अनुमान है कि 2019-20 में यह 5.6 प्रतिशत रहेगी जो 2018-19 में 7.4 प्रतिशत थी।’
मूडीज के अनुसार 2020-21 और 2021-22 में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और यह क्रमश: 6.6 प्रतिशत तथा 6.7 प्रतिशत रह सकती है, लेकिन वृद्धि की गति पूर्व वर्षों के मुकाबले धीमी ही रहेगी।
मूडीज के अनुसार, ‘निवेश गतिविधियां पहले से धीमी है, लेकिन खपत के लिए मांग के कारण अर्थव्यवस्था में तेजी बनी हुई थी। हालांकि, अब खपत मांग भी नरम हुई है, जिससे मौजूदा नरमी को लेकर समस्या बढ़ रही है।’
गौरतलब है कि भारत में आर्थिक मंदी पर लगातार चिंता व्यक्त की जा रही है। देश के तमाम अर्थशास्त्री कई महीने पहले ही गिरती अर्थव्यवस्था पर चिंता व्यक्त किए थे और उन लोगों ने सरकार को आगाह भी किया था कि इस दिशा में जल्द सुधार होने की भी गुंजाइश नहीं है। अर्थशास्त्रियों के आगाह करने के बाद भी सरकार मानने को तैयार नहीं थी कि देश की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है।
हालांकि पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी माना था कि विश्व के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है। अर्थव्यवस्था में कितनी सुस्ती है और यह किन वजह से हो रही है, इस पर चिंतन करने की जरूरत है।
गौरतलब है कि आरबीआई ने अक्टूबर माह में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए विकास दर का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर के 6.1 फीसदी कर दिया था। भारतीय रिर्जव बैंक ने अनुमान लगाया था कि विकास दर वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में तेजी पकड़ेगी।
वहीं सरकार ने सुस्ती को कम करने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कमी, सरकारी बैंकों में पूंजी निवेश और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का फंड तैयार किया था, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आ सके।
मूडीज ने भी घटाया था आउटलुक
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की साख यानी के्रडिट रेटिंग आउटलुक नकारात्मक कर दिया। इसे साख को घटाने की दिशा में पहला कदम माना जाता है। मूडीज ने भले ही कहा कि सरकार आर्थिक कमजोरी का हल निकालने में आंशिक तौर पर कामयाब रही है, लेकिन आगे विकास दर नीचे रहने का जोखिम बढ़ गया है।
मूडीज ने विदेशी मुद्रा रेटिंग को बीएए2 को बरकारर रखा, लेकिन मार्च 2020 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में 3.7 फीसदी राजकोषीय घाटा रहने का अनुमान जाहिर किया। वहीं सरकार का अनुमान 3.3 फीसदी राजकोषीय घाटे का है। माना जा रहा है कि सुस्त विकास दर और कॉरपोरेट कर में कटौती के चलते राजस्व घटने से राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर सरकार को झटका लग सकता है।
नोमुरा का सबसे कम आंकलन
जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने भारत की विकास दर के अनुमान को घटा दिया है। नोमुरा ने कहा है भारत की चालू वित्त वर्ष में विकास दर (जीडीपी) 4.9 फीसदी रहेगी। फिलहाल भारत की अर्थव्यवस्था काफी सुस्ती के दौर से गुजर रही है, जिसके कारण पहले के अनुमान से अब कटौती की गई है। इससे पहले नोमुरा ने विकास दर के 5.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।
गौरतलब है कि जहां आरबीआई ने विकास दर के 6.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था, वहीं अब नोमुरा का अनुमान सबसे कम हो गया है। 8 नवंबर को ही रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की अर्थव्यवस्था का आउटलुक पॉजिटिव से निगेटिव किया था। जून तिमाही में अर्थव्यवस्था ने पांच फीसदी विकास दर हासिल की थी, जो पिछले छह सालों में सबसे कम रही थी।
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