न्यूज़ डेस्क
आज से करीब आठ साल पहले हुए आमरण अनशन ने पूरे देश में हडकंप मचा दिया था। ये अनसन किया था सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने। 13 अगस्त 2011 में सूचना का अधिकार और लोकपाल बिल को लेकर अन्ना ने एक विशाल जनांदोलन किया। साथ ही आमरण अनशन तक का रास्ता अपनाया था।
बताया जा रहा है कि समाजसेवी अन्ना हजारे एक बार फिर आमरण अनशन करने वाले हैं। इस बार वो देश की राजधानी दिल्ली में हुए जघन्य अपराध निर्भया कांड को लेकर है ।अन्ना हजारे ने ये ऐलान किया है कि अगर मोदी सरकार ने निर्भया के दोषियों को फांसी देने की तारीख एक हफ्ते के अंदर घोषित नहीं की तो वे आमरण अनशन पर बैठेंगे।
उन्होंने कहा वो सात दिन बाद दो दिनों के लिए आमरण अनशन पर बैठेंगे। पहले वो मौन व्रत रखेंगे उसके बाद आमरण अनशन शुरू करेंगे।इसके अलावा उन्होंने बताया कि 14 अगस्त 2005 को बंगाल में एक दुष्कर्मी व हत्यारे को फांसी दी गई थी। ‘तब से देश में मौत की सजा सुनाए गए किसी भी इस तरह के दोषी को फांसी की सजा नहीं दी गई है। मौजूदा वक्त में 426 दोषी फांसी की सजा का इंतजार कर रहे हैं।’
यही नहीं लोगों ने महसूस करना शुरू कर दिया है कि सिस्टम के माध्यम से न्याय पाने में देरी, बाधाएं और कठिनाइयां अपने आप में अन्याय है। इसका ताजा उदाहरण आप हैदराबाद मुठभेड़ को ले सकते है जहां जनसमर्थन चाहता था कि इस तरह के ‘मुठभेड़ों’ में अपराधियों को खत्म कर दिया जाए।
बता दें कि निर्भया कांड के एक दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर अपनी दया याचिका वापस लेने की मांग की है। दोषी विनय शर्मा ने अपने वकील के माध्यम से शनिवार को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि उसे दया याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए।