- तूफान की वजह से सुंदरबन पर गहराया खतरा
- अक्टूबर 1999 के बाद पहली बार बंगाल की खाड़ी में बना है “सुपर साइक्लोन”
न्यूज डेस्क
पहले से कोरोना वायरस के महामारी से जूझ रही ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकार के लिए अंफान तूफान ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह तूफान दोनों राज्यों के लिए मुसीबत बनकर आई है। बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवाती तूफान ”अंफान” ने सोमवार दोपहर और गहराकर “सुपर साइक्लोन” में तब्दील हो गया।
अक्टूबर 1999 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि जब बंगाल की खाड़ी में कोई “सुपर साइक्लोन” बना हो। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) का कहना है कि तूफान की उच्चतम रफ्तार 220-240 (अधिकतम 265) किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है।
जब हवा की गति 220 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे ज्यादा होती है तो उसे “सुपर साइक्लोन” का दर्जा दिया जाता है। अनुमान के मुताबिक, आश्वस्त करने वाली बात यह है कि 20 मई की शाम पश्चिम बंगाल के दीघा और बांग्लादेश के हातिया द्वीप के तट पर पहुंचते-पहुंचते तूफान की गति काफी कम हो जाएगी।
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मौसम विभाग की माने तो ओडिशा के लिए मंगलवार भारी पडऩे वाला है। तूफान की वजह से आज तटीय ओडिशा के 12 जिलों में आज भारी बारिश होगी और तेज हवाएं चलेंगी।
भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक उत्तरी दिशा में आगे बढ़ते समय तूफान की गति कम हो जाएगी और यह दोबारा “बहुत खतरनाक चक्रवाती तूफान” बन जाएगा। तट पर पहुंचते समय इसकी गति केवल 150-165 किलोमीटर रह जाएगी, बावजूद इसके तटीय ओडिशा के 12 जिलों में “अंफान” के कारण मंगलवार से भारी बारिश होगी।
वहीं भुवनेश्वर मौसम केंद्र के निदेशक एचआर विश्वास ने सोमवार को कहा कि तूफान के प्रभाव से मंगलवार शाम से उत्तरी ओडिशा के पांच जिलों – केंद्रापाड़ा, जगतसिंहपुर, भद्रक, बालेश्वर और मयूरभंज में भारी बारिश शुरू होगी और तेज हवाएं चलेंगी जो 20 तारीख की सुबह से और तेज हो जाएंगी।
ओडि़शा सरकार ने तूफान से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की है। संभावित प्रभावित क्षेत्रों के लिए एनडीआरएफ की 12 टीमें और ओडीआरएफ की 20 टीमें रवाना हो चुकी हैं। एनडीआरएफ के महानिदेशक सत्य नारायण प्रधान ने कहा है कि 8 और टीमें तयार रखी गई हैं जिन्हें जरूरत पडऩे पर तत्काल ओडिशा भेज दिया जाएगा।
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ओडिशा सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि तूफान की मार उन्हीं जिलों- जाजपुर, भद्रक और बालेश्वर- में सबसे अधिक होगी, जो पहले ही कोरोना की वजह से रेड जोन बने हुए हैं। यही कारण है कि सबसे अधिक नुकसान होने की आशंका जताए जाने पर बालेश्वर के कलेक्टर ने एक फरमान जारी किया है कि तूफान का प्रकोप खत्म होने तक किसी बाहर के आदमी को जिले में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। तूफान के कारण प्रवासी श्रमिकों को लेकर आने वाली “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनें भी ओडि़शा सरकार के आग्रह पर 20 तारीख तक रद्द कर दी गई हैं।
तूफान से निपटने के लिए पश्चिम बंगाल ने भी कसी कमर
पश्चिम बंगाल के तटवर्ती इलाके अभी बुलबुल तूफान के नुकसान से उबरे भी नहीं हैं कि अब वहां अंफान का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि ममता सरकार ने बंगाल की खाड़ी पर बने निम्न दबाव की वजह से लगातार खतरनाक बनते जा रहे चक्रवाती तूफान अंफान
से निपटने के लिए कमर कस ली है।
सरकार दावा कर रही है कि इस तूफान से निपटने के लिए तमाम जरूरी तैयारियों कर ली गई हैं, पर सुंदरबन इलाके में आइला तूफान के समय बांधों को जो नुकसान पहुंचा था वह इलाके के द्वीपों की चिंता बढ़ा रहा है।
सीएम ममता बनर्जी ने भी सोमवार को एक उच्च-स्तरीय बैठक में अंफान से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने बताया, “तटीय इलाकों में एनडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी गई हैं और निचले इलाकों से लोगों को शेल्टर होम में पहुंचाया जा रहा है। इलाके में तिरपाल के अलावा पर्याप्त राहत सामग्री का स्टॉक जुटाया जा रहा है। सरकार ने तूफान पर निगाह रखने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का भी गठन किया है।”
मौसम विभाग ने राज्य के तटीय जिलों में अलर्ट जारी करते हुए मछुआरों को 20 मई तक समुद्र में नहीं जाने की चेतावनी दी है। उसने मंगलवार और बुधवार को तटीय इलाकों में भारी बारिश और 120 से 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की भविष्यवाणी की है।
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सुंदरबन को हो सकता है नुकसान
मौसम विभाग के अनुसार सुंदरबन स्थित दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव जंगल को अंफान से भारी नुकसान पहुंचने का अंदेशा जताया है। निदेशक जी.सी. दास कहते हैं, “तूफान के 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सुंदरबन से टकराने का अनुमान है और इससे सुंदरबन को भारी नुकसान का अंदेशा है। हम इस पर करीबी निगाह रख रहे हैं। अगले चौबीस घंटे काफी अहम हैं। ”
राज्य के गृह सचिव आलापन बनर्जी ने बताया, “पूरा सरकारी तंत्र तूफान से पैदा होने वाली परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है। एनडीआरएफ की टीमों को बचाव और राहत कार्य के लिए मौके पर भेज दिया गया है। तूफान से पहले स्थानीय लोगों के लिए बनाए गए राहत शिविरों में भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करने की व्यवस्था की गई है। एनडीआरएफ के अलावा भारतीय तटरक्षक बल को भी अलर्ट कर दिया गया है।”