न्यूज डेस्क
भाजपा सांसद और प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने 28 नवंबर को राज्यसभा की आचार समिति (एथिक्स कमेटी) को लिखे अपने पत्र को पोस्ट करते हुए ट्वीट किया था-‘मैंने दो तेदेपा सांसदों वाईएस चौधरी और सीएम रमेश की अयोग्यता के लिए आचार समिति से शिकायत की, जिन्होंने बड़े पैमाने पर वित्तीय घोटालों के साथ ‘आंध्रा का माल्या’ की संदिग्ध उपाधि हासिल की है।’
फिलहाल ये दोनों सांसद अब भाजपाई हो गए हैं। 20 जून को तेलगू देशम पार्टी के चार सांसद बीजेपी में शामिल हुए इनमें दो सांसद सीएम रमेश और वाईएस चौधरी, इनकम टैक्स, सीबीआई और ईडी द्वारा जांच के दायरे में हैं।
भाजपा का दामन थामने के बाद सियासी गलियारे में चर्चा है कि क्या इन दोनों सांसदों को जांच एजेंसियों से किसी तरह से राहत मिलेगी? टीडीपी छोड़कर दोनों राज्यसभा सांसदों के बीजेपी में जाने के पीछे उनके खिलाफ चल रही जांचों से राहत मिलने की मंशा बताई जा रही है।
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बैंक लोन और कंपनियों से जुड़े फ्रॉड के आरोप में दोनों सांसदों के खिलाफ सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी आदि एजेंसियां जांच कर रहीं हैं। फिलहाल सांसद सीएम रमेश और वाईएस चौधरी अब भाजपाई हो गए है तो देखना दिलचस्प होगा कि उनके खिलाफ सीबीआई, ईडी क्या एक्शन लेती है, क्योंकि इन पर गंभीर आरोप भाजपा सांसद और प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने ही लगाया था।
I've complained to Ethics Committee to seek disqalification of two
TDP MPs, Y.S.Choudary & C.M.Ramesh who have earned the dubious title of "Andhra Mallyas" with massive financial scandals. @yschowdary defrauded banks for 5700 Cr & @CMRamesh_MP evaded hundreds of crores in taxes. pic.twitter.com/h50fMqOk2h— GVL Narasimha Rao (@GVLNRAO) November 29, 2018
सीबीआई निदेशक आलोक और राकेश के बीच तकरार में आया था रमेश का नाम
तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच में हुई तकरार के दौरान सांसद सीएम रमेश का नाम सामने आया था। रमेश से जुड़ी एक कंपनी को लेकर इनकम टैक्स द्वारा जांच की जा रही है। वहीं दूसरी ओर वाईएस चौधरी एक कथित बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में सीबीआई और ईडी के रडार पर हैं।
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आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच सीबीआई विवाद में मुख्य गवाह सना सतीश बाबू ने आरोप लगाया था कि सांसद सीएम रमेश मामले को प्रभावित कर रहे हैं। सना सतीश के बयान के आधार पर वर्मा ने अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था।
अस्थाना द्वारा कथित रूप से रिश्वत की मांग करने का दावा करने से पहले, सना सतीश ने अस्थाना की टीम को एक बयान दिया था कि वर्मा रिश्वत की मांग कर रहे था। उसने आरोप लगाया था कि रमेश की वजह से उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। तब वर्मा की टीम और रमेश ने आरोपों का खंडन किया था।
रमेश से जुड़ी कंपनी में सौ करोड़ का मिला था संदिग्ध लेनदेन
अक्टूबर 2018 में एक आयकर जांच में सांसद रमेश से जुड़ी एक कंपनी में लगभग 100 करोड़ रुपये का संदिग्ध लेनदेन पाया गया था। इनकम टैक्स के अनुसार, ऋत्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (आरपीपीएल) नाम की एक कंपनी ने कथित तौर पर धोखाधड़ी के जरिए 74 करोड़ रुपये की चपत लगाई थी, जबकि 25 करोड़ रुपये का बिल ‘संदिग्ध’ पाया गया था।
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आयकर विभाग ने 12 अक्टूबर को हैदराबाद में कंपनी के परिसर और कडप्पा में रमेश के निवास स्थान की तलाशी ली थी, जिसका तेदेपा ने कड़ा विरोध किया था और इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया था।
चौधरी पर भ्रष्टाचार के हैं गंभीर आरोप
ईडी ने पिछले दिनों वाईएस चौधरी से जुड़ी कंपनी के हैदराबाद-दिल्ली समेत कई स्थानों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी के दौरान 315 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली गई थी। दरअसल, सीबीआई की तरफ से बेस्ट एंडक्रॉम्प्टन इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड (बीसीईपीएल) और उसके अधिकारियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था, जिसमें कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने संपत्तियां जब्त की थीं।
इस कंपनी और अधिकारियों पर 2010 से 2013 के दौरान कई बैंकों से धोखाधड़ी करने का आरोप था। इस वजह से बैंकों को करीब 364 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। सीबीआई की एफआईआर के आधार पर ईडी ने भी मामला दर्ज किया था। यह कंपनी सुजाना ग्रुप ऑफ कंपनीज का हिस्सा है, जिसके प्रमोटरों में सांसद चौधरी भी शामिल हैं।
इसके बाद अप्रैल में बैंक फ्रॉड से जुड़े एक मामले में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सांसद वाईएस चौधरी से सीबीआई ने पूछताछ की थी। वाईएस चौधरी साल 2014 से 2018 के बीच मोदी सरकार में राज्य मंत्री थे। हालांकि बीते साल टीडीपी ने केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद वाईएस चौधरी ने राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।