सुरेंद्र दुबे
लंबे अर्से से चर्चा है कि लोग केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछने से कतराते हैं क्योंकि वे उनसे डरते हैं। यह बहस प्रमुख उद्योगपति राहुल बजाज के इस प्रश्न से उठी है, जिसमें उन्होंने सीधे-सीधे अमित शाह से ही कह दिया कि लोग आपसे डरते हैं इसलिए कोई सवाल नहीं पूछना चाहते हैं।
एक प्रमुख कॉर्पोरेट घराने के मालिक राहुल बजाज का यह कहना काफी महत्व रखता है कि उनके अधिकांश उद्योगपति मित्र यह कहने का साहस नहीं कर पाएंगे कि लोग अमित शाह से डरते हैं। लगता है महाराष्ट्र में भाजपा की करारी शिकस्त ने उद्योगपतियों के मुंह में जुबान दे दी है। वरना किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में अमित शाह से ये कहने की हिम्मत नहीं पड़ती कि लोग आपसे डरते हैं।
इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आज पूरे देश में अमित शाह का जलवा है और उनके हर मामले में आक्रमक रूख को देखते हुए लोग उनसे सवाल करने तक की जुर्ररत नहीं कर पाते हैं। सरकार आयकर विभाग, सीबीआई और ईडी के जरिए बड़े-बड़े उद्योगपतियों व नेताओं की बोलती बंद कर देती है। जाहिर है ऐसे माहौल में लोग चुप रहना ही पसंद करेंगे। इसे देखते हुए राहुल बजाज की हिम्मत की सराहना की जानी चाहिए।
आइए देखते हैं कि राहुल बजाज ने उद्योगपतियों के एक समारोह में अमित शाह से क्या कहा, जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल थे।
उद्योगपति राहुल बजाज ने इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह से कुछ तीखे सवाल किये। साथ ही उन्होंने मॉब लिंचिंग और सांसद साध्वी प्रज्ञा के नाथूराम गोडसे को लेकर दिए बयान में उचित कार्रवाई ना किये जाने का ज़िक्र तो किया ही इसके अलावा ये भी कहा कि लोग ‘आपसे’ डरते हैं।
राहुल बजाज ने कहा, ‘हमारे उद्योगपति दोस्तों में से कोई नहीं बोलेगा, मैं खुलेतौर पर इस बात को कहता हूं। एक माहौल तैयार करना होगा। जब यूपीए 2 सरकार सत्ता में थी, तो हम किसी की भी आलोचना कर सकते थे। आप अच्छा काम कर रहे हैं, उसके बाद भी, हम आपकी खुले तौर पर आलोचना करें तो इतना विश्वास नहीं है कि आप इसे पसंद करेंगे। इसके साथ ही बजाज ने आर्थिक स्थिति को लेकर भी अपनी और अपने साथी उद्योगपतियों की चिंता का ज़िक्र किया।‘
राजनीति के चतुर खिलाड़ी अमित शाह ने स्थिति को संभालते हुए तुरंत कहा कि लोगों को उनसे डरने की जरूरत नहीं है। साध्वी प्रज्ञा के बयानों के बारे में उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की है। हालांकि, ये एक झूठ ही है क्योंकि साध्वी प्रज्ञा के मामले में सिर्फ लीपापोती की गई है।
साध्वी प्रज्ञा जिस ढ़ंग से नाथूराम गोडसे का गुणगान करती हैं उसे देखते हुए प्रज्ञा को पार्टी से निकाले जाने से कम कोई सजा देश स्वीकार नहीं कर सकता है। क्योंकि मामला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नीचा दिखाने का है। साध्वी भले ही कट्टर हिंदू वाद की आइकॉन हो पर उनका कद महात्मा गांधी के पैरों की धूल के बराबर भी कहे जाने लायक नहीं है।
रही बात अमित शाह से लोगों के डरने की है तो यह एक कटु सत्य है कि पार्टी और सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़कर किसी की भी हिम्मत अमित शाह से सवाल करने की नहीं है। मीडिया के बड़े-बड़े तथाकथित पत्रकार तक उनसे सवाल करने की हिम्मत नही जुटा पाते हैं। ऐसे में राहुल बजाज का अमित शाह से सवाल करना हमारे लोकतंत्र की जड़ें वाकई मजबूत होने का एक छोटा सा प्रमाण हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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