न्यूज डेस्क
2014 में मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद अमित शाह को चुनावी रणनीति में माहिर खिलाड़ी के तौर पर देखा गया लेकिन जब दोबारा बीजेपी ने केंद्र में वापसी की तो अमित शाह का रोल भी बढ़ गया। गृहमंत्री की कुर्सी संभालने के साथ ही संघ और बीजेपी के सभी अहम अजेंडे पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मोर्चा संभाले दिख रहे हैं।
बतौर गृह मंत्री अमित शाह ने ट्रिपल तलाक, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बिल को पास कराया और अब जिस तरह लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर बहस के दौरान शाह ने जवाब दिया उससे वह बीजेपी और संघ के हिंदुत्व का नया चेहरा बन कर उभर हैं।
लोकसभा में इस बिल पर चर्चा और बिल पास होने के दौरान शाह ने मोर्चा संभाला और पीएम नरेंद्र मोदी सदन में नहीं रहे। हालांकि शाह ने कई बार पीएम मोदी और उनके गाइडेंस का जिक्र किया। नई सरकार में अब तक बतौर गृह मंत्री वह तीसरा अहम बिल (जो संघ के अजेंडे के भी करीब है) पास करवाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का बिल राज्यसभा में लाया गया और वहां पूरा मोर्चा अमित शाह ने संभाला। तब पीएम राज्यसभा में नहीं थे।
इसका श्रेय भी अमित शाह को दिया गया और बीजेपी समर्थक उन्हें लौह पुरुष की संज्ञा देने लगे। तब से ही बीजेपी के भीतर यह चर्चा भी चलने लगी कि पीएम नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी अमित शाह ही हैं और मोदी के बाद शाह ही पीएम बनेंगे। पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को बीजेपी-संघ के हिंदुत्व का चेहरा माना जा रहा था वह बदलता दिख रहा है।