न्यूज डेस्क
पहले कश्मीर से अनुच्छेद-370 का हटना और अब नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब)। अमेरिकी एजेंसियों की भारत के आंतरिक मामले में टिप्पणी करने की आदत जाने का नाम नहीं ले रही। लोकसभा में पारित कैब पर स्वायत्त अमेरिकी एजेंसी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआइआरएफ) ने बेहद तल्ख टिप्पणी की।
अमेरिकी आयोग ने यहां तक कहा है कि अगर राज्यसभा में यह बिल पारित होता है तो अमेरिकी सरकार को भारत के गृह मंत्री और अन्य राजनीतिक नेतृत्व के खिलाफ पाबंदी लगानी चाहिए। भारत ने आयोग की टिप्पणी को बेहद पक्षपातपूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताते हुए इसे पूरी तरह से खारिज किया है। भारत ने आयोग पर बगैर वस्तुस्थिति की जानकारी के ही टिप्पणी करने की बात कही है।
विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है और कहा है कि इस संस्थान का जो ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, उससे वह चौंके नहीं हैं। फिर भी वह उनके इस बयान की निंदा करते हैं। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि USCIRF की ओर से जिस तरह का बयान दिया गया है, वह हैरान नहीं करता है क्योंकि उनका रिकॉर्ड ही ऐसा है। हालांकि, ये भी निंदनीय है कि संगठन ने जमीन की कम जानकारी होने के बाद भी इस तरह का बयान दिया है।
विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने मंगलवार को कहा, ‘यूएससीआइआरएफ की तरफ से कैब पर टिप्पणी अवांछित है। यह बिल सिर्फ कुछ देशों से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज करने में मदद करता है। यह उनकी मौजूदा समस्याओं को दूर करता है और मानवाधिकार के मूलभूत सिद्धांतों का पालन करता है। जो लोग सही मायने में अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध हैं उन्हें इस तरह के कदम का स्वागत करना चाहिए।
यह विधेयक दूसरे समुदायों को भारतीय नागरिकता देने के मौजूदा प्रावधानों में कोई छेड़छाड़ नहीं करता है। हाल के वर्षो में भारत सरकार ने जिस तरह से नागरिकता प्रदान की है, वह इस संदर्भ में उसके रिकार्ड कोबताता है।’ उन्होंने कहा है कि कैब या नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) की प्रक्रिया किसी भी धर्म के नागरिक की मौजूदा नागरिकता को छीनने की कोशिश नहीं है। ऐसी बात करना किसी गलत भावना से प्रेरित है और अन्यायपूर्ण भी है।
अमेरिका समेत हर देश को अपने नागरिकों के हितों का ख्याल रखने और उसे तय करने का अधिकार है। कुमार ने यूएससीआइआरएफ को घेरते हुए कहा कि उसके पुराने रुख को देखते हुए उसकी टिप्पणी को समझा जा सकता है। लेकिन यह दुखद है कि अमेरिकी एजेंसी ने उस पूरे मुद्दे पर पूर्वाग्रह व दुर्भावना से भरी टिप्पणी की है जिसके बारे में उसे कुछ भी पता नहीं है।
गौरतलब है कि मंगलवार को सुबह यूएससीआइआरएफ की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत में इस विधेयक के जरिए धर्म के आधार पर नागरिकता देने का रास्ता बनाया जा रहा है। यह खतरनाक है और गलत रास्ते की तरफ जा रहा है। यह भारत के पंथनिरपेक्ष बहुवादी व्यवस्था के बेहद गौरवपूर्ण इतिहास और भारतीय संविधान के खिलाफ है। एनआरसी का जिक्र करते हुए कहा कि इसके जरिए भारत सरकार लाखों मुस्लिमों से नागरिकता छीन लेगी।