न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है, जिसके वजह अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि सरकार का गठन कब होगा। बीजेपी और शिवसेना दोनों ही अलग-अलग राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करने पहुंचे हैं।
शिवसेना नेता दिवाकर राउते ने गवर्नर से मुलाकात की और उनके जाते ही सीएम देवेंद्र फडणवीस भी गवर्नर हाउस पहुंच गए। दोनों मुलाकातों की जानकारी खुद गवर्नर हाउस ने भी दी है, लेकिन कहा है कि यह दिवाली के मौके पर औपचारिक मुलाकात ही है, लेकिन इसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
दूसरी ओर आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनने के हसीन सपने देख रही शिवसेना को एनसीपी ने तगड़ा झटका दिया है। एनसीपी ने साफ तौर पर कह दिया है कि वो विपक्ष में रहेगी। दरअसल, महाराष्ट्र की सत्ता की चाबी फिलहाल एनसीपी के हाथों में नजर आ रही है। ऐसे में शरद पवार बीजेपी या शिवसेना में जिसके साथ खड़े हो जाएं, सत्ता का सिंहासन उसका है।
गौरतलब है कि कांग्रेस-एनसीपी के बदौलत ही शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बना सकती है। ऐसे में एनसीपी सरकार बनाने के बजाय विपक्ष में बैठने की बात कर रही है। ऐसे में देखना है कि महाराष्ट्र की सियासत किस करवट बैठती है।
इसके बावजूद शरद पवार से लेकर एनसीपी के तमाम नेता सरकार बनाने से ज्यादा विपक्ष में बैठने को लेकर सहमत हैं। एनसीपी अगर अपने स्टैंड पर कायम रहती है तो शिवसेना से पास बीजेपी के साथ सरकार बनाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।
बता दें कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ और कड़े लहजे में महाराष्ट्र में अपनी सहयोगी बीजेपी को चेतावनी देते हुए कहा, ‘लोकसभा चुनाव में अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस के साथ जो तय हुआ था, उससे न कम और न ज्यादा चाहिए।’ उससे एक कण भी अधिक मुझे नहीं चाहिए। हालांकि, शिवसेना ने डिप्टी सीएम के पद पर अभी पत्ते नहीं खोले हैं।
शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर अपने स्टैंड पर अभी तक कायम है। शिवसेना नेताओं का साफ कहना है कि सीट बंटवारे में किन्हीं वजहों से 50-50 फार्मूला लागू नहीं हो पाया था, लेकिन अब सत्ता के बंटवारे में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की बात बीजेपी को हर हाल में माननी होगी। यही वजह है कि नतीजे आने के 4 दिन बाद भी महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर एनडीए की ओर से पहल नहीं की गई है। जबकि हरियाणा में बहुमत के कम होने पर जेजेपी से साथ मिलकर सरकार बीजेपी ने बना ली है।
वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने यह कहकर शिवसेना के अरमानों पर पानी फेर दिया कि उनकी पार्टी के सामने महाराष्ट्र में सरकार गठन करने का विकल्प नहीं है, लिहाजा वे जनादेश के मुताबिक विपक्ष में बैठेंगे।
शिवसेना का समर्थन करने के सवाल पर पवार ने कहा, ‘हमारे पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है। लोगों ने हमें विपक्ष में बैठने का आदेश दिया है। हम जनादेश को स्वीकार करते हैं।’ शरद पवार के साथ-साथ एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी साफ किया कि वह शिवसेना के साथ जाने के बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।’
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 और अन्य को 29 सीटें मिली हैं। इस तरह से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पास बहुमत के आंकड़े हैं, लेकिन सीएम पद पर फंसे पेच के चलते मामला अभी तक अटका हुआ है।
महाराष्ट्र की सत्ता में 50-50 का फॉर्मूला नया नहीं है। 1999 में भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने यह फॉर्मूला शिवसेना को दिया था, मगर तब शिवसेना राजी नहीं हुई थी। ऐसे में गठबंधन सरकार नहीं बन पाई थी। इस बार 50-50 की यह शर्त शिवसेना की ओर से रखी गई है और अब बीजेपी इस पर सहमत नहीं दिख रही है।
एनसीपी विपक्ष में बैठने के बयान पर कायम रहती है तो शिवसेना के मुख्यमंत्री पद के अरमानों पर पानी फिर सकता है। ऐसे में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के सिवा उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा, क्योंकि कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या इतनी नहीं है कि वह अपने दम पर शिवसेना को समर्थन करके सरकार बनवा सके।