न्यूज डेस्क
हथियारों के सौदागर के रूप में सबसे आगे चलने वाले अमेरिका ने अपनी बढ़त और ज्यादा कर ली है। अमेरिका ने पिछले पांच सालों में दुनिया भर में एक तिहाई हथियार बेचा है। अमेरिकी हथियार कम से कम 96 देशों को बेचे जाते हैं। इनमें बड़ा हिस्सा युद्धक और परिवहन विमानों का है। अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्माता देश चीन है।
स्वीडन स्थिति शोध संस्थान सिपरी (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) का कहना है कि वर्ष 2015 से 2019 की अवधि में हथियारों की बिक्री में पिछले पांच साल के मुकाबले 6 फीसदी की वृद्धि हुई है और पूरी दुनिया में हथियारों की बिक्री का 36 प्रतिशत अमेरिका की कंपनियों से हुआ।
अमेरिकी हथियारों का प्रमुख बाजार बना सऊदी
अमेरिका ने 96 देशों को हथियार बेचा है और सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश सऊदी अरब था जिसने कुल 12 फीसदी हथियार खरीदे।
सिपरी के वरिष्ठ रिसर्चर पीटर वेजेमन का कहना है कि पिछले पांच साल की अवधि में हथियारों की बिक्री में नियमित वृद्धि के अलावा हमने देखा कि अमेरिका का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है। अमेरिका हथियारों का मुख्य सप्लायर है।” उनका कहना है कि सऊदी सल्तनत आने वाले सालों में भी हथियारों का प्रमुख करीदार बना रहेगा।
अमेरिकी हथियारों की बिक्री का आधा हिस्सा पश्चिमी एशिया के देशों को गया। इनमें अकेले सऊदी अरब ने 20 फीसदी अमेरिकी हथियार खरीदे। सऊदी अमेरिकी हथियारों का प्रमुख बाजार बन गया है।
सऊदी अरब ने अमेरिका के अलावा ब्रिटेन और फ्रांस से भी हथियार खरीदे। पीटर वेजेमन के अनुसार पिछले पांच सालों में अमेरिकी हथियारों की कुछ महत्वपूर्ण सप्लाई का सौदा अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में किया गया था।
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पिछड़ रहा है रूस
करीब 20 प्रतिशत बिक्री के साथ अब तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक रहा रूस पिछड़ रहा है। 2010 से 2014 की अवधि से उसकी बिक्री में 18 फीसदी की कमी आई है। उसने 47 देशों को हथियारों की आपूर्ति की। उसकी बिक्री का आधा हिस्सा भारत, चीन और अल्जीरिया को गया।
वेजेमन का कहना है, “ऐसा नहीं है कि रूस हथियार बेचने की कोशिश नहीं कर रहा है, बल्कि स्थिति ये है कि खरीदारों को आयात के ऊंचे स्तर को बनाए रखने में मुश्किल हो रही है, एक साफ उदाहरण वेनेजुएला है।”
तीसरे नंबर पर है फ्रांस
अमेरिका और रूस के बाद हथियारों की सप्लाई के मामले में फ्रांस तीसरे नंबर पर है। वह 8 फीसदी हथियारों की आपूर्ति करता है और मिस्र, कतर और भारत के बड़े समझौतों की मदद से उसने 1990 के बाद बिक्री का नया रिकॉर्ड बनाया है। जर्मनी और चीन हथियारों की बिक्री करने वाले चोटी के पांच देशों में शामिल हैं। उनके हिस्से में दुनिया के हथियारों के बाजार का 76 फीसदी आता है।
हथियार खरीदारों में भारत दूसरे नंबर पर
हथियारों की वैश्विक खरीदारी का 35 प्रतिशत हिस्सा पश्चिम एशिया के देशों का है। सऊदी अरब के अलावा मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, इराक और कतर दुनिया के दस चोटी के हथियार खरीदारों में शामिल हैं।
भारत आयातकों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर है। सऊदी अरब का हिस्सा 12 फीसदी है तो भारत की खरीद का हिस्सा 9 प्रतिशत। भारतीय खरीद का आधा हिस्सा अभी भी रूस से आया है।
रूस के अलावा भारत को हथियार बेचने वाले प्रमुख विक्रेता इस्राएल और फ्रांस हैं। भारत के प्रमुख क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान ने दो तिहाई हथियार चीन से खरीदा। सैनिक मदद बंद करने के अमेरिकी फैसले के बाद पाकिस्तान को अमेरिकी सप्लाई में भारी कमी हुई है। चोटी के पांच हथियार खरीदारों में मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन शामिल हैं।
चीन ने 53 देशों को हथियार बेचे हैं लेकिन भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े बाजार राजनैतिक कारणों से उसके लिए बंद हैं।
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यूरोप में सालों से हथियारों की खरीद में लगातार हो रही कमी के बाद पिछले पांच साल की अवधि में उसमें मामूली इजाफा हुआ है। पश्चिमी और मध्य यूरोप के कई देशों ने 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया के अधिग्रहण के बाद मुख्य रूप से अमेरिका से नए लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया है।
मालूम हो कि सिपरी दुनिया भर में हथियारों की खरीद बिक्री पर नजर रखने वाली शोध संस्था है। वह हथियारों की खरीद में उतार चढ़ाव में संतुलन के लिए पांच साल की अवधि का आकलन करती है। यह डाटाबेस सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर बनाया गया है और इसमें छोटे हथियरों की खरीद बिक्री शामिल नहीं है
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