जुबिली न्यूज डेस्क
संयुक्त राज्य अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन इमिग्रेशन सिस्टम को मजबूत करने के लिए लगातार नए फैसले ले रहा है। 20 जनवरी, 2025 को राष्ट्रपति के तौर पर दोबारा शपथ ग्रहण करने के बाद से ट्रंप प्रशासन इस क्षेत्र में कई अहम कदम उठा रहा है। खासकर उन ग्रीन कार्ड धारकों और H-1B वीजा धारकों के लिए जिनका इमिग्रेशन status विदेश यात्रा के दौरान प्रभावित हो रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि इन बदलावों का भारतीयों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले भारतीय मूल के एक वकील नरेश गेही ने न्यूज़वीक से बातचीत में कहा, “ट्रंप प्रशासन अमेरिकी न्याय व्यवस्था की अवहेलना कर रहा है और इमिग्रेशन कानूनों को अपने हिसाब से लागू कर रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि कई ग्रीन कार्ड धारक भारतीय प्रोफेशनल्स ने शिकायत की है कि उन्हें एयरपोर्ट पर ज्यादा पूछताछ का सामना करना पड़ता है।
इमिग्रेशन वकील इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अमेरिकी बंदरगाहों पर वैध अप्रवासियों को कड़ी जांच और दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा नियंत्रण को प्राथमिकता देते हुए, मौजूदा इमिग्रेशन कानूनों को सख्ती से लागू करने का भरोसा दिया है।
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी की असिस्टेंट सेक्रेटरी ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने न्यूज़वीक से कहा, “डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इमिग्रेशन कानूनों को मजबूती से लागू किया है, जबकि पिछले प्रशासन इस मामले में विफल रहे थे।” उन्होंने आगे कहा, “जो भी इन कानूनों का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, और जरूरत पड़ने पर उसे देश से बाहर भी किया जा सकता है।”
इसके अलावा, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एक इंटरव्यू में ग्रीन कार्ड धारकों के अधिकारों पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “एक ग्रीन कार्ड धारक को अनिश्चितकाल के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने का अधिकार नहीं होता।”
इस तरह, ट्रंप प्रशासन के कड़े इमिग्रेशन नीतियों के चलते ग्रीन कार्ड धारकों और H-1B वीजा धारकों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से विदेश यात्रा के दौरान।