न्यूज डेस्क
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ईरान के तेल खरीदारों को मई से प्रतिबंधों से कोई छूट नहीं देने का फैसले के बाद भारत ने ईरान से कहा है कि वह उससे तेल खरीदे जाने पर फैसला मौजूदा लोकसभा चुनाव के बाद करेगा।
सुषमा ने कहा कि तेल खरीदे जाने का फैसला भारत की वाणिज्यिक जरूरतों, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। यह बात भारत के दौरे पर आए ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ से भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को कही।
बता दें कि सुषमा और जरीफ की यह बातचीत अमेरिका की तरफ से भारत सहित 8 देशों को ईरान से तेल खरीदने को लेकर मिली छूट खत्म होने के बाद हुई है।
सूत्रों की माने तो ईरान के विदेश मंत्री अपनी पहल पर ही भारत की यात्रा पर आए। उनके इस दौरे का मकसद हालिया गतिविधियों पर ईरान के रुख से भारत को अवगत कराना था।
सोमवार देर रात भारत पहुंचने वाले जरीफ ने पिछले कुछ दिनों में रूस, चीन, तुर्कमेनिस्तान और इराक की यात्रा भी की है। ईरानी विदेश मंत्री की ये यात्राएं ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव और फारस की खाड़ी में संकट के बाद हो रही है।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल का कंज्यूमर है, जिसकी कच्चे तेल की 85 फीसदी और नेचुरल गैस की 34 फीसदी जरूरतें आयात से पूरी होती हैं। बताया जा रहा है कि ईरान से तेल खरीदे जाने के मामले पर पिछले कुछ हफ्तों में भारत पर अमेरिका का दबाव बढ़ा है।
साल 2016 में भारत ने कुल 215 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया था। इसमें 13 फीसदी हिस्से के साथ ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल सप्लायर था। इस मामले में उससे ऊपर 18-18 फीसदी हिस्से के साथ सऊदी अरब और इराक का नंबर था।
बताते चले कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बाजार को ईरानी तेल की आपूर्ति बंद होने की सूरत में अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने वैश्विक मांग पूरी करने को लेकर समय पर कदम उठाने की सहमति जताई है।
ईरान और विश्व की छह शक्तियों के बीच हुए परमाणु समझौते को ट्रंप द्वारा रद्द करने के बाद बीते साल नवंबर में अमेरिका ने ईरानी तेल के निर्यात पर प्रतिबंध दोबारा लगा दिया था।
वाशिंगटन ने हालांकि इस प्रतिबंध से ईरानी तेल के आठ प्रमुख खरीदारों-भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली और ग्रीस को छह महीने तक की अवधि के लिए छूट दी थी।
इस छूट के खत्म होने से एशियाई खरीदारों पर बड़ी मार पड़ेगी। ईरानी तेल के सबसे बड़े खरीदार भारत और चीन हैं और दोनों देश प्रतिबंध से छूट पाने के लिए प्रयास में लगे थे।
ट्रंप इस छूट को खत्म कर तेल की बिक्री में कटौती के जरिये ईरान पर ‘अधिकतम आर्थिक दबाव’ बनाना चाहते हैं, क्योंकि उसकी आमदनी का मुख्य स्रोत तेल की बिक्री ही है।