स्पेशल डेस्क
ईरान और अमेरिका के बीच में तनाव चरम पर है। हालात कब युद्ध में बदल जाये ये किसी को पता नहीं है। अमेरिका ने ईरान के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी को एयर स्ट्राइक में ढेर कर दिया। इसके बाद ईरान पूरी तरह से बौखला गया और अमेरिका को चेतावनी दे डाली है लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप पर इसका कोई असर नहीं होता दिख रहा है।
इतना ही नहीं ईरान ने साफ कर दिया है अब वो पीछे हटने वाला नहीं है। ईरान के मुताबिक अमेरिका ने जो किया उसका बदला उसे चुकाना पड़ेगा। उधर ईरान ने जवाबी हमला करते हुए बीती देर रात बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर जोरदार राकेट दागकर अपने इरादे जता दिये हैं। जानकारी के मुताबिक अमेरिकी फौजी बेस पर हमला बोला गया है। उधर केन्या के लामू काउंटी में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर आतंकी संगठन अल-शबाब ने हमला किया है। इसे भी अमेरिका और ईरान से जोड़ा जा रहा है। इसके साथ तीसरे विश्व युद्ध की सुगबुगाहट तेज हो गई है।
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कुद्स फोर्स के प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत पूरे ईरान में शोक की लहर है। ईरान के स्थानीय लोग भी बदले की बात कह रहे हैं। इतना ही नहीं ईरान के क़ौम स्थित प्रमुख मस्जिद पर लाल रंग का झंडा फहराया गया है। लाल रंग का झंडा फहराने का मतलब ही है बदले की कार्रवाई या फिर युद्ध का ऐलान। इसके बाद से पूरे खाड़ी क्षेत्र में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है।
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दरअसल ईरान के पास तेल का अकूत भंडार है। जिसपर अमेरिका नहीं बल्कि कई और देशों की नजर है। ऐसे में अमेरिका तेल के बहाने ईरान को खत्म करने का सपना देख रहा है लेकिन इसके दूसरे पहलू पर भी नजर दौड़ायी जाना बेहद जरूरी है। जानकार की माने तो डोनाल्ड ट्रंप अपनी कुर्सी बचाने के लिए ईरान का राग अलाप रहे हैं। अमेरिका की जनता तक उन्हें पसंद नहीं करती है लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ईरान को खत्म कर वहां की जनता का दिल जीतकर दोबारा चुनाव जीतना चाहते हैं।
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भारत पर भी पड़ रहा है गहरा असर
ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ रहे तनाव का असर भारत में भी दिख रहा है। लखनऊ में शिया समुदाय ने अमेरिका के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उधर राजधानी लखनऊ में लोगों ने अमेरिकी कार्रवाई कड़ी आलोचना करते हुए कासिम सुलेमानी को शहीद करार दिया है। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने इस हमले की कड़ी आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। उन्होंने ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की शहादत पर कहा कि उन्होंने आईएसआईएस जैसे आतंवादी संगठनों को उखाडऩे फेकने में बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने कासिम सुलेमानी को सालाम करते हुए मीडिया से इस मामले में हकीकत दिखाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि ईरानी कमांडर ने शिया धर्मस्थलों की हिफाजत की है।
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इस मामले पर मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि अमेरिका को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि पूरे विश्व में अमेरिका दुनिया भर में दहशतगर्दी फैला रहा है। जनरल सुलेमानी हमेशा आतंकवाद से लड़ते रहे। अमेरिका की इस कार्रवाई के खिलाफ पूरी दुनिया में प्रदर्शन हो रहा हैं। मौलाना ने कहा कि मैं अपने देश और इंटरनेशनल मीडिया से पूछता हूं कि वह कोई ऐसी घटना बता दें कि जनरल सुलेमानी किसी आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हों।
क्या चुनावी फायदे के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने हमला किया
अमेरिका में इस साल चुनाव होना है। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप अपने फायदे के लिए ईरान पर दबाव बना रहे हैं। इतिहास पर गौर करते तो 2003 में इराक पर हमला भी इसी के तहत किया गया था और इसाक पूरा फायद 2004 देखने को मिला। 2003 में बुश ने इराक पर हमला केवल चुनाव जीतने के लिए करवाया था। इसका खुलासा शोधकर्ताओं ने उस वक्त किया था और कहा था कि बुश ने यह चुनाव ‘युद्ध के कारण’ जीता था। ऐसे में अमेरिका में इस साल चुनाव है और डोनाल्ड ट्रंप इसका फायदा लेना चाहते हैं।