जुबिली न्यूज़ डेस्क
इस्लामाबाद। चीन के उकसावे में अपनी हदों को तोड़ रहा पाकिस्तान अब नई मुसीबत में फंस सकता है। चीन को खुश करने के चक्कर में पाकिस्तान के पड़ोसी देशों के अलावा अमेरिका जैसे देश से संबंध भी बिगड़ चुके हैं। यही वजह है कि सऊदी अरब से झटका मिलने के बाद अमेरिका ने भी पाकिस्तान से किनारा करना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान के पास अब उसे कर्जे से उबारने के लिए एक ही दोस्त बचा है चीन। जानकारों की माने तो दुनिया के तेजी से बदलते समीकरण में जहां अमेरिका, भारत और सऊदी अरब एक पाले में आ गए हैं, वहीं पाकिस्तान अमेरिका से दूर और चीन के करीब होता गया है।
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हालांकि पाकिस्तान को चीन से उतनी मदद नहीं मिल पा रही है जितनी अमेरिका से मिलती थी। पाकिस्तान की रक्षा मामलों की विश्लेषक और दक्षिण एशिया मामलों की जानकार आयशा सिद्दीका ने एक इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका के साथ संबंधों में आई गिरावट के बाद पाकिस्तान के लिए अब चीन ही एकमात्र सहारा बचा है, जो उसे आर्थिक के साथ अन्य क्षेत्रों में मदद दे सकता है।
सिद्दीका ने कहा अब जहां अमेरिका, भारत और सऊदी अरब का एक संगठन बनता नजर आ रहा है जो इमरान खान सरकार पर भारी पड़ सकता है वहीं पाकिस्तान को मजबूरन चीन, रूस और ईरान का साथ देना होगा।
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बता दें कि बीते कुछ महीनों में अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में भी भारी बदलाव आया है। अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका रही लेकिन अब यह कोई नहीं कह सकता कि पाकिस्तान को अमेरिका से आर्थिक सहायता मिलेगी।
सिद्दीका के अनुसार पाकिस्तान की विदेश नीति पर जब बहस होती है तो हम तालिबान के समर्थन और ओसामा बिन लादेन को शरण देने के मसले पर चुप हो जाते हैं। यही कारण है कि अमेरिका से पाकिस्तान के रिश्तों में गिरावट आती चली गई।
अमेरिका के साथ संबंधों में आई गिरावट का एक अन्य कारण यह भी है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर पनप रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाया।
इन संगठनों के तार दुनिया भर में फैले आतंकी गुटों से जुड़े पाए गए। नतीजा ये रहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि बिगड़ती चली गई। आयशा की माने तो चीन और ईरान के बढ़ते संबंधों का फायदा पाकिस्तान को भी होगा, इसको लेकर शक है।
पड़ोसी होने के बावजूद पाकिस्तान और ईरान कुछ मसलों को लेकर एक- दूसरे से दूर हैं। उन्होंने आशा जताई कि पाकिस्तान अगर अपने पड़ोसी देश- भारत, ईरान और अफगानिस्तान से संबंध सुधारे तो कुछ वर्षो में उसकी स्थिति में परिवर्तन हो सकता है।
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