जुबिली न्यूज डेस्क
हांगकांग में पिछले काफी समय से अस्थिरता का माहौल है। चीन के बढ़ते दमन के चलते यहां के लोग देश छोड़कर जा रहे हैं। इसी कड़ी में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिका में रह रहे हांगकांग के लोगों को अपने यहां अस्थायी तौर पर पनाह देने की पेशकश की है।
गुरुवार को राष्ट्रपति बाइडेन ने अमेरिका में रह रहे हांगकांग के लोगों को अस्थायी तौर पर पनाह देने की पेशकश की। बाइडेन के इस फैसले से हजारों लोग अमेरिका में अपने निवास की अवधि बढ़ा सकेंगे। अमेरिका ने चीन के हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों पर जारी दमन के चलते यह कदम उठाया है।
राष्ट्रपति बाइडेन ने “जरूरी विदेश नीति” को कारण बताते हुए गृह सुरक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया कि हांगकांग के लोगों को 18 महीने तक देश से न निकाला जाए।
किसे मिलेगी अमेरिका में पनाह?
एक आदेश में बाइडेन ने कहा, “पिछले साल भर से पीआरसी (पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) का हांगकांग की स्वायत्तता पर हमला जारी है, जो वहां के लोकतांत्रिक संस्थानों और प्रक्रियाओं का अपमान है। यह आकदमिक आजादी और प्रेस की आजादी का हनन है।”
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अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हांगकांग के लोगों को पनाह देना “इलाके में अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाना है और अमेरिका हांगकांग के लोगों का साथ देने से कभी पीछे नहीं हटेगा।”
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इस आदेश का असर कितने लोगों पर होगा लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अमेरिका में रह रहे ज्यादातर हांगकांग वासी इस पनाह के लिए योग्य होंगे।
वहीं गृह सुरक्षा मंत्री आलेहान्द्रो मायोर्कास ने कहा कि जो लोग अमेरिका में पनाह के योग्य होंगे वे रोजगार के अधिकार के लिए भी अर्जी दे सकते हैं।
व्हाइट हाउस का कहना है कि इस आदेश ने स्पष्ट कर दिया है कि “चीन के हांगकांग और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को किए गए वादों को तोड़ते हुए अमेरिका चुपचाप देखता नहीं रहेगा।”
चीन की प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस फैसले पर चीन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियु पेंगयू ने कहा है कि अमेरिका हांगकांग की स्थिति को काले-सफेद में बांट कर देख रहा है। उन्होंने कहा कि नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ने एक सुरक्षित माहौल बनाया है और स्वतंत्रता की सुरक्षा की है।
अमेरिका के पनाह देने के कदम के बारे में प्रवक्ता ने कहा, “ऐसे कदम तथ्यों को तोड़ते-मरोड़ते हैं और उनका अपमान करते हैं। यह चीन के अंदरूनी मामलों में गंभीर दखलअंदाजी हैं।”
जो बाइडेन का यह आदेश चीन पर हाल के दिनों में अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की ही अगली कड़ी है। अमेरिका ने जुलाई में हांगकांग स्थित चीनी अधिकारियों पर नए प्रतिबंध लगाए और कंपनियों को चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के बारे में चेतावनी दी।
चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इनमें पूर्व अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस भी शामिल हैं।
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हांगकांग में दमन
ब्रिटेन ने हांगकांग को 1997 में चीन को सौंपा था लेकिन उस समझौते में इस इलाके को 50 साल तक स्वायत्त रखने की शर्त रखी
गई थी, लेकिन पिछले एक साल से हांगकांग में चीन ने ऐसे कई कदम उठाए हैं, जिन्हें वहां का बड़ा तबका उस शर्त का उल्लंघन मानता है।
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जून में लोकतंत्र समर्थक अखबार ऐपल डेली के दफ्तर पर छापे मारे गए और उसके संपादकों व पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद अखबार बंद हो गया था। इतना ही नहीं चीन ने पिछले साल ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया था, जो विदेशी ताकतों का साथ देने को अपराध करार देता है। आलोचकों का कहना है कि यह कानून लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं और स्वतंत्र मीडिया पर हमला है।
इस कानून के विरोध में देश में लगातार विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। खासकर युवा इन प्रदर्शनों में बढ़ चढ़कर शामिल हुए, जिनमें से कई जेल में हैं।