न्यूज़ डेस्क
लॉस एंजेल्स। कच्चे तेल की क़ीमतों में लगातार वृद्धि के बाद अमेरिका ने आपूर्ति बढ़ा दी है। इससे ब्रेंट क्रूड तेल की क़ीमतों में 41 सेंट अर्थात 0.6 प्रतिशत अर्थात 71.06 डालर प्रति बैरल और वेस्ट टेक्सास क्रूड तेल की क़ीमतों में 51 सेंट की कमी अर्थात 0.8 प्रतिशित की कमी से 63.69 डालर प्रति बैरल पर आपूर्ति की जा सकी है। इसके बावजूद कच्चे तेल की आपूर्ति पर ख़तरे के बादल मंडरा रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आग्रह के बावजूद तेल उत्पादक देशों ‘ओपेक’ में ‘शहंशाह’ और अमेरिकी मित्र सऊदी अरब ने मंगलवार को कच्चे तेल की आपूर्ति में वृद्धि किए जाने से इनकार कर दिया है।
दूसरे, वेनेज़ुएला में मंगलवार को पश्चमी देशों की ओर से अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में मान्यता प्राप्त तथा विपक्ष के नेता ज़ुआन गुइडो ने राष्ट्रपति निकोलस मदुरो के ख़िलाफ़ आंदोलन तेज़ कर दिया है। हज़ारों लोग सड़कों पर उतार आए हैं। इससे वेनेज़ुएला की तेल आपूर्ति पूरी तरह बाधक बनी हुई है।
ओपेक देशों की बैठक अगले महीने होगी, जिसमें कच्चे तेल के उत्पादन स्तर और आपूर्ति पर निर्णय लिया जाएगा। चीन और भारत दो बड़े देश हैं, जो अभी तक ईरान से तेल की आपूर्ति पर निर्भर थे। ईरान पर एक मई से अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत और चीन, दोनों के लिए कच्चे तेल के नए विकल्प तलाशने पड़ रहे हैं।
मौजूदा परिस्थितियों में अमेरिका, जो ख़ुद एक बड़ा तेल उपभोक्ता है, ने 26 अप्रैल से अपने कच्चे तेल की 68 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ा दी है। अमेरिका की ओर से कच्चे तेल की आपूर्ति अब बढ़कर 4664 लाख बैरल प्रतिदिन हो गई है।
कच्चे तेल की कमी का बड़ा कारण ओपेक देशों की ओर से उत्पादन में कटौती करना मुख्य कारण रहा है, जबकि कच्चे तेल के दो बड़े उत्पादकों -ईरान पर प्रतिबंध और वेनेज़ुएला में घरेलू राजनैतिक संकट के कारण स्थितियां विषम बनी हुई हैं।