जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। कोविड-19 महामारी के मुश्किल वक्त में साथ निभाने वाली 102 और 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी कथित तौर पर फर्जी बिल बनाकर पैसे हड़प लिये जाने, आधे-अधूरे वेतन तथा अन्य समस्याओं को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही कंपनी ‘जीवीके-ईएमआरआई’ के लखनऊ मुख्यालय पर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि अगर फर्जी बिल बनाकर पैसे हड़पने की घटना की सीबीआई जांच नहीं करायी जाती है और उनके वेतन संबंधी मांगों को पूरा नहीं किया जाता तो वह एंबुलेंस सेवा पूरी तरह ठप कर देंगे।
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एंबुलेंस कर्मचारियों के संगठन ‘जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108, 102 उत्तर प्रदेश’ के प्रदेश अध्यक्ष हनुमान पांडे ने के अनुसार कंपनी 102 और 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारियों के नाम से फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपए का गबन कर चुकी है।
उन्होंने दावा किया कि कागजों पर तो एंबुलेंस सेवा में 19,200 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि इस वक्त बमुश्किल 16,000 कर्मचारी ही कार्यरत हैं और बाकी 3000 से ज्यादा कर्मचारियों के नाम से फर्जी बिल बनाकर सरकार से पैसे लिये जा रहे हैं।
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उनके अनुसार ये बड़ा घोटाला है और उनकी मांग है कि सरकार इसकी सीबीआई से जांच कराए। सरकार अगर उनकी मांगे नहीं मानती हैं तो सोमवार से प्रदेश में एंबुलेंस सेवा ठप कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी कर्मचारियों के वेतन में भी मनमानी कटौती कर रही है तथा उसने शनिवार को अचानक 1600 कर्मचारियों को नौकरी से भी निकाल दिया।
जीवीके- ईएमआरआई के प्रवक्ता सुनील यादव ने पांडे के आरोपों को सिरे से गलत बताते हुए कहा कि कंपनी में कोई भी घोटाला नहीं हुआ है। कुछ बाहरी तत्व कोविड-19 महामारी के इस मुश्किल समय में एंबुलेंस सेवा को पटरी से उतारना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी ने किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला है।
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ऐसा नहीं है तो वह 1600 कर्मचारियों की सूची कैसे सामने आई, यादव ने कहा कि यह उन कर्मचारियों की सूची है जो कंपनी को बताए बगैर ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं या फिर लंबे वक्त से बिना बताए गायब हैं, इन्हें निकाला नहीं गया है।
उन्होंने कहा कंपनी हर तीन चार महीने पर ऐसे कर्मचारियों की सूची तैयार करती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इस सूची में जिन लोगों का नाम है वह अगर चाहें तो मुख्यालय से संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस सेवा के कुछ कर्मचारी नेता इस मुद्दे को बेवजह तूल दे रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश की 108 और 102 एंबुलेंस सेवा दूरदराज के इलाकों में बीमार तथा दुर्घटनाओं में घायल हुए लोगों के लिए ‘लाइफलाइन’ समझी जाती है। कोविड-19 संक्रमण के वक्त इस सेवा की अहमियत और भी बढ़ गई है। मौजूदा गतिरोध की वजह से अगर इसका संचालन प्रभावित हुआ तो इसका खासा असर पड़ सकता है।
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