जुबिली न्यूज़ डेस्क
अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन को तगड़ा झटका लगा है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुए सौदे को मंजूरी दे दी है। अमेजन इस सौदे को पटरी से उतारने का प्रयास कर रही थी।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान एफआरएल पर नकदी का भारी संकट आ गया था। इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्री ने अगस्त में फ्यूचर समूह के खुदरा, थोक, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार का अधिग्रहण करने के लिए 24,713 करोड़ रुपये का सौदा किया था। इसकी सौदे पर अमेजन ने आपत्ति जताई थी।
सीसीआई ने बीते दिन ट्वीट कर कहा कि ‘फ्यूचर समूह के खुदरा, थोक, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार के रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड और रिलायंस रिटेल ऐंड फैशन लाइफस्टाइल लिमिटेड द्वारा अधिग्रहण किए जाने के सौदे को मंजूरी दी गयी।’ बता दें कि सीसीआई बाजार में अनुचित कारोबारी गतिविधियों पर नजर रखने और प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए नियामक की भूमिका अदा करता है।
इसके अलावा फ्यूचर ग्रुप और एमेजॉन के बीच का मामला दिल्ली हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। फ्यूचर समूह की एमेजॉन के सौदे में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाने की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है। साथ ही अदालत ने संबंधित पक्षों को इस पर उनकी लिखित प्रतिक्रिया जमा कराने के लिए 23 नवंबर तक का समय दिया है।
अमेरिकी कंपनी का दावा है कि उसका गैर-सूचीबद्ध फ्यूचर कूपंस लि. (एफसीएल) के साथ अनुबंध कई लोगों और कंपनियों के साथ लेनदेन को रोकता है। इनमें अंबानी और रिलायंस शामिल है।
क्या है फ्यूचर और एमेजॉन का रिश्ता
अमेजन ने पिछले साल किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर समूह की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। साथ ही कथित रूप से समूह की सूचीबद्ध कंपनी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड में राइट टू फर्स्ट रीफ्यूजल की भी डील थी।
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इस डील का मतलब यह है कि फ्यूचर में पहले हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार एमेजॉन को मिलेगा और उसके इनकार करने पर ही फ्यूचर इसे किसी को बेच सकती है। एमेजॉन का दावा है कि फ्यूचर कूपोन्स के साथ हुआ उसका सौदा समूह को फ्यूचर रिटेल में लेनदेन से रोकता है।