राजेंद्र कुमार
यह तो गजब हो रहा है। राज्य में मुख्य सचिव स्तर का एक नया पद सृजित होने को है, लेकिन इस पद पर तैनाती पाने की उत्सुकता मुख्य सचिव स्तर के किसी भी आला अफसर में नहीं जगी है। जबकि करीब तीस आला अफसर ऐसे हैं जो इस पर पर तैनाती पाने की योग्यता रखते हैं। ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ है कि मुख्य सचिव स्तर के पद पर किसी भी अफसर ने तैनाती पाने के लिए ऐसी बेरुखी दिखाई हो, लेकिन अब ऐसा हो रहा है। जिसे लेकर लखनऊ में रहे कई पूर्व मुख्य सचिव आश्चर्य जता रहे हैं।
अब जानिये वह पद कौन सा है, जिस पर सूबे के तमाम आला अफसर तैनाती पाने के इच्छुक नहीं है। यह पद है रोजगार आयुक्त का। मनरेगा की तर्ज पर शहरों व कस्बों के हर परिवार के एक व्यक्ति को रोजगार की गारंटी देने संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना को जमीन पर उतारने के लिए इस पद का सृजन होना है। इसके लिए सांविधानिक राज्य रोजगार आयोग के गठन किया जाना है। इसका प्रस्ताव तैयार करा लिया गया है।
प्रस्ताव के अनुसार रोजगार आयुक्त रोजगार आयोग के अध्यक्ष को रिपोर्ट करेगा। रोजगार आयुक्त को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी विभाग, सरकारी संस्था, कंपनी व निजी उद्योगों को रोजगार या कौशल विकास से संबंधित निर्देश दे सके। इसमें सरकारी सेवा से लेकर गैरसरकारी और निजी क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार शामिल हैं। आयोग का अध्यक्ष मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री होगा। और मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी को रोजगार आयुक्त बनाया जाएगा।
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रोजगार एवं प्रशिक्षण, उद्यिमता विकास, कौशल सुधार, मनरेगा और अलग-अलग विभागों द्वारा कौशल विकास के लिए जारी प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के कार्यक्रम इस आयोग के अधीन होंगे। रोजगार आयुक्त इन सभी विभागों के लिए समन्वयक का काम करेगा। इतने अधिकार वाले रोजगार आयुक्त के पद पर सीएम की टीम -11 से लेकर 1989 बैच के तमाम तेजतर्रार अफसर तैनाती नहीं चाहते। ये अफसर चाहते हैं कि वर्तमान में तो मुख्यसचिव को ही रोजगार आयुक्त के पद का दायित्व सौंपा जाए। ताकि वह औद्योगिक विकास आयुक्त और कृषि उत्पादन आयुक्त के साथ समन्वय कर लोगों को रोजागर मुहैया कराने की पहल करें।
आला अफसरों की यह सोच किसी उदारता की वजह से नहीं हैं, इन अफसरों का मानना है कि कुछ समय बाद राज्य में चुनाव होना है और चुनाव में रोजगार एक अहम मुददा बनेगा। ऐसे में जो भी अधिकारी रोजगार आयुक्त के पद पर तैनात होगा, चंद महीनों में उसे बहुत मेहनत कर रिजल्ट देना होगा। यानी कि दिन रात जगकर मेहनत करनी होगी।
अब इतनी मेहनत करने के लिए मुख्य सचिव स्तर के तमाम अफसर तैयार नहीं है, इसलिए करीब तीस आला अफसर रोजगार आयुक्त के पद पर तैनाती पाने के अरुचि जता रहें हैं। यही नहीं कई अफसर तो इस जुगाड़ में लग गए है कि रोजगार आयुक्त के पद के लिए उनके नाम का प्रस्ताव ही तैयार न होने पाए। अब देखना है कि उक्त पद पर पहली तैनाती किसकी होगी। मतलब रोजगार आयुक्त का पदभार संभालने वाला पहला अफसर कौन होगा।
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