जुबिली न्यूज डेस्क
राज्यसभा सांसद और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे अमर सिंह का 64 साल की आयु में निधन हो गया। यूपी की सत्ता के ‘अर्थ और नागरिक शास्त्र’ के चाणक्य कहे जाने वाले अमर सिंह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और करीब छह महीने से उनका सिंगापुर में इलाज किया जा रहा था।
अमर सिंह, समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव रहे हैं साथ ही राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के वो काफी करीब रहे। बताया जाता है कि अमर सिंह एक समय समाजवादी पार्टी की नंबर दो पोजिशन के नेता भी थे। हालांकि बाद में विवाद होने के बाद अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया। लेकिन इसके बाद भी उनकी और मुलायम सिंह की दोस्ती पर असर नहीं पड़ा।
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सियासी गलियारों के जानकार बताते हैं कि मुलायम सिंह अमर सिंह पर बहुत भरोसा करते थे। बताया जाता है कि राजनीति में जिस तरह की जरूरतें हों, चाहे वो संसाधन जुटाने की बात हो या जोड़-तोड़ यानी नेटवर्किंग का मसला हो, उन सबको देखते हुए वह अमर सिंह को पार्टी के लिए उपयुक्त मानते थे। ये बात भी अपनी जगह एकदम सही है कि अमर सिंह नेटवर्किंग के बादशाह रहे।
कभी धरतीपुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह और किसानों और पिछड़ों की पार्टी समाजवादी पार्टी को आधुनिक और चमक दमक वाली राजनीतिक पार्टी में तब्दील करने वाले अमर सिंह ही थे। चाहे वो जया प्रदा को सांसद बनाना हो, या फिर जया बच्चन को राज्य सभा में लाना हो, या फिर संजय दत्त को पार्टी में शामिल करवाना रहा हो, या उत्तर प्रदेश के लिए शीर्ष कारोबारियों को एक मंच पर लाना हो, ये सब अमर सिंह का ही करिश्मा था।
एक समय में समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की हैसियत ऐसी थी कि उनके चलते आज़म ख़ान, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे मुलायम के नज़दीकी नाराज़ होकर पार्टी छोड़ गए। लेकिन मुलायम का भरोसा उनपर बना रहा।
अमर सिंह से मुलायम की मुलाकात तब हुई जब मुलायम सिंह यादव देश के रक्षामंत्री थे। साल 1996 में अमर सिंह और मुलायम सिंह एक जहाज में मिले थे। हालांकि अनौपचारिक तौर पर मुलायम और अमर की मुलाकात पहले भी हुई थी, लेकिन राजनीतिक जानकार कहते हैं कि फ्लाइट की उस मीटिंग के बाद से ही अमर और मुलायम की नजदीकियां बढ़ी थीं।
हालांकि, मुलायम-अमर के रिश्ते की नींव एचडी देवगौड़ा के प्रधानमंत्री बनने के साथ शुरू हुई थी। देवगौड़ा हिंदी नहीं बोल पाते थे और मुलायम अंग्रेजी नहीं, ऐसे में देवगौड़ा और मुलायम के बीच दुभाषिए की भूमिका अमर सिंह ही निभाते थे।
अमर-मुलायम के रिश्ते के बारे में एक चर्चित किस्सा है कि जब अखिलेश और डिंपल की शादी के लिए मुलायम पहले तैयार नहीं थे, लेकिन ये अमर सिंह ही थे जिन्होंने मुलायम को इस शादी के लिए तैयार किया था।
देश में गठबंधन की राजनीति का दौर चला और इसमें समाजवादी पार्टी जैसी 20 से 30 सीटों वाली पार्टी की अहमियत बढ़ी और जानकार मानते हैं कि इसके साथ ही अमर सिंह की भूमिका भी ख़ूब बढ़ी। इसके ढेरों उदाहरण मौजूद हैं। एक वाकया तो यही है कि 1999 में सोनिया गांधी ने 272 सांसदों के समर्थन का दावा कर दिया था, लेकिन उसके बाद समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को अपना समर्थन नहीं दिया और सोनिया गांधी की ख़ूब किरकिरी हुई।
सियासी गलियारों के दिग्गजों का मानना है कि अमर सिंह वैसे शख़्स थे, जिनके सभी पार्टियों में शीर्ष स्तर पर करीबी दोस्त हैं। चाहे वो भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस हो या फिर वामपंथी पार्टियां ही क्यों नहीं हों। अमर सिंह का व्यक्तित्व पानी जैसा है, हर किसी में मिल जाता है या मिल सकता।
अमर सिंह अपने इसी गुण के चलते केवल राजनीतिक गलियारों में सीमित नहीं रहे। वे एक ही समय में बॉलीवुड के स्टार कलाकारों के साथ उठने बैठने लगे, देश के शीर्षस्थ कारोबारियों के साथ नज़र आने लगे। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ अमर सिंह की इतनी बनने लगी कि दोनों एक दूसरे को परिवार का सदस्य मानने लगे।
हालांकि 2010 में जब समाजवादी पार्टी से अमर सिंह निकाले गए और उनके कहने पर भी जया बच्चन ने राज्य सभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा नहीं दिया तो दोनों को अलग होते देर भी नहीं लगी। उद्योग जगत में अनिल अंबानी और सुब्रत राय सहारा जैसे कारोबारियों के साथ भी अमर सिंह की गाढ़ी दोस्ती रही।