न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के चरखारी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक और उनके पिता पर एक मंदिर की जमीन हथियाने का आरोप लगा है। यह चरखारी विधानसभा महोबा जिले के तहत आता है।
महोबा के चरखारी विधायक ब्रजभूषण राजपूत और उनके पिता गंगाचरण राजपूत पर जिले के ऐतिहासिक गोवर्धन नाथ जू महाराज (श्रीकृष्ण मंदिर) और उसकी बेशकीमती जमीन हथियाने का आरोप है। यह आरोप नगरपालिका के चेयरमैन ने लगाया है और पुलिस से आरोपियों को गिरफ्तारी की मांग की है।
दरअसल, महोबा के चरखारी में स्थित ऐतिहासिक गोवर्धन नाथ जू महाराज का सदियों पुराना मंदिर है। जिसकी करीब 200 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी मंदिर से जुड़ी है। इस प्रॉपर्टी को बीजेपी विधायक के पिता गंगाचरण राजपूत ने चरखारी की रानी से महज 1 करोड़ रुपये लीज पर लिया था।
नगरपालिका अध्यक्ष मूलचंद अनुरागी और स्थानीय लोग बताते हैं कि ऐतिहासिक महल के समीप स्थित गोवर्धन नाथ जू मंदिर पुरातत्व विभाग के अभिलेखों और नगरपालिका चरखारी के दस्तावेजों में दर्ज है। विधायक और उनके पिता बेशकीमती जमीन और मंदिर पर अवैध कब्जा करना चाहते हैं. जिसका विवाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि पूर्व में भी कब्जे की नियत से मेले के दौरान रंगाई-पुताई तक करने से पालिका को रोकने का प्रयास किया गया था, तब मामला बमुश्किल शांत हुआ था। आरोप है कि कुछ दिन पहले नगरपालिका चरखारी में बोर्ड की बैठक थी और हरिहर मिश्रा विधायक के प्रतिनिधि के तौर पर मीटिंग हॉल में आ गए, उन्होंने हाई कोर्ट में मंदिर विवाद में अब तक के खर्च का आय-व्यय का ब्यौरा मांगने लगे। यहीं नहीं, मंदिर विवाद केस में कोर्ट में होने वाले खर्च पर प्रस्ताव न करने का दबाब बनाया गया।
पालिका अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि हम लोगों ने शांति से बैठने की बात की तो हरिहर मिश्रा गाली-गलौज करने लगे और जाति सूचक शब्दों के साथ जान से मारने की धमकी देते हुए भाग निकले। उनकी यह करतूत पालिका में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। पालिका अध्यक्ष का कहना है कि मंदिर के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे। बता दें कि पालिका अध्यक्ष मूलचंद अनुरागी भी बीजेपी के नेता हैं तो वहीं चरखारी विधायक ब्रजभूषण राजपूत भी बीजेपी के विधायक हैं।
ऐतिहासिक मंदिर में पूजा करते हुए 70 बसंत पार कर चुके इदरीश को अब बीजेपी विधायक और उनके पिता से मंदिर हड़पने का डर सता रहा है। नगरपालिका चरखारी चेयरमैन से विवाद को विधायक के प्रतिनिधि हरिहर मिश्रा बेबुनियाद बता रहे हैं। वह कहते हैं कि मंदिर पर कोई कब्जा नहीं किया है। जबकि वह यह बात स्वीकार करते हैं कि इलाहाबाद कोर्ट में मामला विचाराधीन है और एक प्रस्ताव पर वाद विवाद हुआ था।
पालिका अध्यक्ष के समर्थन में सामने आए पूर्व चेयरमैन अरविंद सिंह बताते हैं कि चरखारी का ड्योढ़ी दरवाजा 1881 में निर्मित हुआ था। चरखारी महारानी ने जीआरएस होटल के नाम से पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत को बेची थी. मगर मन्दिर कभी बेचा नहीं गया था। पूर्व सांसद और विधायक सत्ता का दुरुपयोग कर चरखारी की पहचान मिटाने में जुटे हुए हैं। चेयरमैन और विधायक के पिता का प्रापर्टी का विवाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन है।
पुलिस अधिकारी स्वामीनाथ ने बताया कि महोबा के चरखारी कोतवाली नगर पालिका में बोर्ड की बैठक चल रही थी। इसमें कुछ प्रस्ताव पारित हो रहे थे। इसी दौरान विधायक प्रतिनिधि और चेयरमैन में मामूली कहा-सुनी हो गई। दोनों पक्षों की ओर से मिली शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।