- कोरोना के आगे सब बेबस, अब मौसम का ही सहारा
- विषाणु विशेषज्ञों को उम्मीद पहली गर्मी नहीं झेल पायेगा COVID-19
राजीव ओझा
भारत में कोरोना वायरस पहुँच गया है। देश में कोरोना वायरस के 2 मरीज़ पॉज़िटिव पाए गए हैं। जो मरीज दिल्ली में पॉज़िटिव पाया गया वह इटली से आया था। कोरोना से पीड़ित दूसरा मरीज तेलंगाना में मिला है जो दुबई से आया था। यह बुरी खबर है लेकिन अच्छी खबर है कि गर्मी ने दस्तक दे दी है।
तापमान 30 डिग्री के ऊपर जाते ही COVID-19 के बुरे दिन शुरू हो जायेंगे। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि जैसे-जैसे स्थिति बदल रही है, हम अन्य देशों पर भी यात्रा प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकते हैं। मौजूदा यात्रा एडवाइजरी के अंतर्गत चीन और ईरान के ई-वीजा समेत सभी तरह के वीजा को निलंबित किया जा चुका है। उम्मीद है हालात काबू में रहेंगे।
कोरोना वायरस को काबू करने में अभी तक सफलता नहीं मिली है। अब तापमान का ही सहारा है। विशेषज्ञों की मानें तो 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान हो जाने पर कोरोना फैमिली के विषाणु सार्स, मर्स और स्वाइन फ्लू का वायरस समाप्त हो जाता है। लेकिन कोरोना फैमिली के लिए COVID-19 बिलकुल नया है। दुनिया भर में कहर बरपा रहे COVID-19 के लिए यह पहली गर्मी है और 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तापमान इस पर कितना असर करेगा, वैज्ञानिक अभी पक्के तौर पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोनावायरस 30 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक तापमान में नहीं रह सकता है। इसलिए जैसे ही तापमान बढ़ता है इन वायरस की ताकत कम होती है और यह वैसे ही यह निष्क्रिय हो जाते हैं। विषाणु वैज्ञानिकों के अनुसार सामान्य फ्लू वायरस की तुलना में कोरोनावायरस चार गुना अधिक समय तक जिंदा रह सकता है। मतलब नार्मल से फ्लू का वायरस 2-3 दिन तक जिंदा रहता है लेकिन कोरोनावायरस इसका 4 गुना यानी करीब 9 दिनों जिंदा रह सकता है। धीरे धीरे गर्मियां आ रही हैं, ऐसे में कोरोना वायरस भारत में कहर बरपाने से पहले खुद ही खत्म हो जाएगा।
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COVID-19 को लेकर खास बात ये है कि यह सिर्फ शरीर में ही जिंदा नहीं रह सकता, बल्कि बेजान पड़ी चीजें जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, धातु आदि पर भी जिन्दा रह कर शिकार का इंतज़ार करता है। लेकिन अभी वैज्ञानिक यह पता नहीं लगा सके हैं कि यह बेजान चीजों पर कितने समय तक जीवित रहता है। COVID-19 एक स्वस्थ इंसान को मात्र 15 सेकंड में संक्रमित कर सकता है। 4 डिग्री या इससे कम तापमान होने पर कोरोनावायरस पूरे एक माह से ज्यादा दिनों तक जिंदा रहता है। इस तरह COVID-19 के मामले में चीन की तुलना में भारत बेहतर स्थिति में है।
वायरोलॉजिस्ट थॉमस पीचमैन बताते हैं कि ग्रीष्म ऋतु आशा जगाती है और महिलाओं को पुरुषों की तुलना में COVID-19 के संक्रमण का कम खतरा है। लेकिन एक गंभीर और छिपा हुआ खतरा यह है कि COVID-19 से संक्रमित लोगों में अक्सर शुरू में कोई लक्षण नहीं दिखता। लेकिन जब पता चलता है उसके पहले ही यह कई अन्य लोगों को संक्रमित कर चुका होता है।
जर्मनी की रोग नियंत्रण एजेंसी रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट (आरकेआई) के अनुसार नए वायरस के इनक्यूबेशन (पनपने) की अवधि 14 दिनों की होती है। वायरस वायुजनित नहीं होते यानी हवा से नहीं फैलते हैं।
इस लिए मास्क पहनने से कोई ख़ास सुरक्षा नहीं मिलती। इस लिए संक्रमित लोगों या संक्रमित होने की आशंका वालों से एक सुरक्षित दूरी रखना बेहतर है। इस वायरस के बारे में विशेष बात यह है कि मनुष्य पहली बार इसके संपर्क में आया है। पीचमैन के अनुसार चीन से से मिले डेटा से हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि वायरस पहली बार एक जानवर से इंसानों में आया और इंसानों से इंसानों में फैल गया है। कोरोना फैमिली के अधिकतर वायरस गर्मी नहीं झेल सकते। इसीलिए उम्मीद है कि यह गर्मी कोरोना वायरस का भी काम तमाम कर देगी।
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अन्य वायरस की तरह COVID-19 पर भी वासा परत(लिपिड लेयर) होती है। यह परत बहुत गर्मी प्रतिरोधी नहीं होती है। जिसका अर्थ है कि तापमान बढ़ने पर वायरस जल्दी ही नष्ट हो जाता है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि साधारण फ्लू को कभी न कभी हमारा शरीर झेल चुका होता है और उसके प्रतिरोध की क्षमता विकसित कर लेता है लेकिन हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पहली बार COVID-19 के हमले का सामना कर रही है और ऐसे हमले के लिए तैयार नहीं है। अब विषाणु वैज्ञानिको को उम्मीद है की गरमी बढ़ते ही COVID-19 का प्रकोप कम हो जायेगा लेकिन इसके लिए उन्हें गरमी का इंतज़ार है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)
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