अविनाश भदौरिया।
राजस्थान के चर्चित पहलू खान की हत्या के मामले में अलवर ज़िला न्यायालय ने अपना फैसला सुनाने हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। वीडियो में आरोपियों का चेहरा नहीं दिखा और पहलू खान के बेटों की गवाही को भी तवज्जो नहीं मिली। वहीं वीडियो बनाने वाला शख्स भी अपने बयान से मुकर गया।
फैसला आने के बाद पहलू खान के परिवार की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे।
इससे पहले पहलू खान मॉब लिंचिंग केस में सीबीसीआईडी ने नामजद 6 व्यक्तियों को (सुधीर यादव, हुकमचंद यादव, ओम यादव, नवीन शर्मा, राहुल सैनी और जगमाल सिंह) आरोपी नहीं माना था।
उनकी जगह वीडियो फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर 9 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें दो नाबालिग भी शामिल हैं। पुलिस ने विपिन, रवींद्र, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार, दीपक गोलियां और भीमराठी और दो नाबालिग को आरोपी बनाया था। फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं।
बता दें कि साल 2017 में इस भीड़ ने गो-तस्करी के शक में पहलू खान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। कोर्ट ने आज इस मामले में सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।
एक अप्रैल 2017 को हरियाणा के नूंह मेवात ज़िले के निवासी पहलू ख़ान जयपुर से दो गाय खरीद कर अपने घर ले जा रहे थे।
शाम करीब सात बजे बहरोड़ पुलिया से आगे निकलने पर भीड़ ने पिकअप गाड़ी को रुकवा कर पहलू ख़ान और उसके बेटों के साथ मारपीट की थी। इलाज के दौरान उसकी अस्पताल में मौत हो गई थी।
अलवर मॉब लिंचिंग मामले में आज आया फैसला एकबार हमारी न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने वाला है। इस फैसले के बाद एक बॉलीवुड फिल्म का फेमस डायलॉग याद आ गया। 1993 में दामिनी नामक एक फिल्म आई थी। इस फिल्म में सिस्टम से परेसान होकर अभिनेता कहता है कि, ”मीलॉर्ड तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़ मिलती रही है मीलॉर्ड लेकिन इंसान नहीं मिला मीलॉर्ड, इंसाफ नहीं मिला. मिली है तो सिर्फ ये तारीख़।”
ऐसा ही कुछ हमारे समाज में हर रोज होता है। फिर वह उन्नाव रेप केस का मामला हो या फिर मुख़्तार अंसारी को रिहा किए जाने का मामला हो।
ऐसे कई केस हैं जिनमें अपराध हुआ लेकिन कोई गुनाहगार साबित नही हुआ। एक दिन पहले ही सीजेआई ने सीबीआई की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते ही कहा था कि सीबीआई उन मामलों में जांच सही नहीं कर पाती जिनमें राजनीतिक रंग होता है और आज एक जिला न्यायालय ने निराश करने वाला फैसला भी सुना दिया।
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