जुबिली स्पेशल डेस्क
उत्तर प्रदेश में भले ही अगले साल चुनाव होना हो लेकिन यहां पर सियासी पारा एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है। जहां एक ओर कांग्रेस एक बार फिर यूपी में अपनी खोयी हुई जमीन पाने के लिए संघर्ष कर रही है तो दूसरी ओर सपा भी विधान सभा चुनाव के लिए अभी से कमर कस ली है।
हालांकि सपा के लिए राह आसान नहीं होने जा रही है। मुलायम सिंह यादव इस समय अपनी सेहत की वजह से राजनीति में सक्रिय नहीं है जबकि शिवपाल यादव ने पहले ही अपनी पार्टी बनाकर सपा से अलग हो गए है।
हालांकि यह कहा जा रहा है कि सपा और शिवपाल की पार्टी प्रसपा चुनाव से पहले एक हो सकती है लेकिन यह हो पायेगा या नहीं। यह कहना जल्दीबाजी होगा।
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शिवपाल यादव ने कई मौकों पर सपा प्रेम जरूर दिखाया है लेकिन उनके भतीजे अखिलेश यादव की बेरुखी से खुद शिवपाल यादव भी हैरान है। उधर शिवपाल यादव भी अपनी पार्टी प्रसपा को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं। होली के बाद यूपी में सियासी घमासात और तेज हो गया है।
सैफई से लौटने के बाद शिवपाल यादव पदाधिकारियों के साथ बातचीत कर आगे की रणनीति बनाने में जुट गए है। उन्होंने साफ कहा कि भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए समान विचारधारा वालों को एक मंच पर लाएंगे। हालांकि शिवपाल की यह कोशिश कितनी रंग लाती है या नहीं ये तो आने वाला वक्त बतायेगा।
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इस बार होली के अवसर पर शिवपाल और अखिलेश भी एक साथ नजर नहीं आये है। ऐसे में अब भी दोनों में दूरियां है। शिवपाल ने बुधवार को कहा कि वह भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए समान विचारधारा वाले दलों को एक मंच पर आने की निरंतर अपील करते रहे हैं।
उनका प्रयास होगा कि समान विचारधारा वाले दलों को एक मंच पर लाकर जनता को नया सियासी विकल्प दिया जाएगा। किसानों, छात्रों, नौजवानों व व्यापारियों को जोड़कर भाजपा से सीधा मुकाबला करने की तैयारी है।
सपा से गठबंधन के सवाल पर उन्होंने फिर दोहराया कि वह समान विचारधारा के साथ चलने को तैयार हैं। भाजपा को हराने के लिए उनकी तरफ से सभी विकल्प खुले हैं।