स्पेशल डेस्क
लोकसभा चुनाव अब अंतिम दौर में पहुंच गया है। बीजेपी दोबारा सत्ता में लौटना चाहती है लेकिन कांग्रेस उसे रोकने का दावा कर रही है। दिल्ली की गद्दी पर बैठना है तो यूपी के रण को जीतना होगा।
बीजेपी से लेकर कांग्रेस को पता है कि यूपी उसके लिए कितना अहम है लेकिन यहां पर दोनों के लिए सपा-बसपा का गठबंधन चुनौती दे रहा है। सबसे रोचक बात यह है कि सपा-बसपा के गठबंधन से कांग्रेस को कोई खास परेशानी नहीं लेकिन इस महागठबंधन से बीजेपी थोड़ी डरी नजर आ रही है। दूसरी ओर सपा से अलग हो चुके शिवपाल यादव लगातार सपा को घेर रहे हैं।
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उनके बयानों में काफी अंतर देखा जा सकता है। शिवपाल कहते हैं कि वह बीजेपी को रोकना चाहते हैं लेकिन उनको सपा-बसपा गठबंधन से भी बैर है। उनके इस बयान पर कई बार अखिलेश यादव ने भी चुटकी ली है। दूसरी ओर रामगोपाल यादव ने भी कई मौकों पर शिवपाल यादव को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने यहां तक कह दिया शिवपाल यादव चुनावी कम्पटीशन में नहीं है।
शिवपाल यादव फिरोजाबाद से चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं लेकिन अक्षय यादव ने कड़ी टक्कर दी है। शिवपाल यादव कितनी सीट जीतते हैं यह कहना अभी जल्दीबाजी होगा। हालांकि शिवपाल यादव का सपा के प्रति प्रेम कम नहीं है। उन्होंने परिवार की खातिर मुलायम, धमेद्र यादव, डिम्पल यादव और खुद अपने भतीजे के खिलाफ प्रसपा ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है।
सवाल यह है कि शिवपाल यादव कितनी सीट जीत सकते हैं। वे दावे बड़े कर रहे हैं लेकिन कितनी सच्चाई ये सबको पता है लेकिन इतना तय है कि वह सपा-बसपा के गठबंधन को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। माना तो यह भी जा रहा है कि अंतिम दो चरणों में भी शिवपाल यादव सपा-बसपा के गठबंधन का खेल बिगाड़ सकते हैं।