जुबिली न्यूज डेस्क
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद से देश में सियासी हलचल मचा हुआ है। पहली बार पूरा विपक्ष एक साथ नजर आ रहा है। सवाल यही है कि क्या प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम पर या मिलकर चुनाव लड़ने के नाम पर भी यह भाईचारा बना रहेगा? इसी कड़ी में अखिलेश यादव का बड़ा बयान सामने आया है।
कांग्रेस को अब ले लेना चाहिए फैसला
बता दे कि अखिलेश यादव ने शनिवार सुबह कहा कि कांग्रेस को अब फैसला लेना चाहिए और क्षेत्रीय दलों को आगे करना चाहिए। एक तरह से अखिलेश ने कह दिया है कि राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस पीछे हट जाए और क्षेत्रीय दलों को आगे करके, उनके सहारे 2024 का लोकसभा चुनाव लड़े।
वे क्षेत्रीय दल को आगे रखें और फिर चुनाव लड़ें
‘राष्ट्रीय दल हमेशा क्षेत्रीय दलों का अपमान करते हैं। पहले यह कांग्रेस ने किया और अब भाजपा यह करती है… यह उनके (कांग्रेस) के लिए एक मौका है, वे क्षेत्रीय दल को आगे रखें और फिर चुनाव लड़ें, तभी वे भाजपा के खिलाफ जीत सकते हैं। यह कांग्रेस की जिम्मेदारी है।
क्या राहुल के नाम पर एक हो पाएगा विपक्ष?
राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के बाद कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को लेकर यह बड़ा मोड़ है। जिस तरह से ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया दी, उससे लग रहा है कि विपक्षी दल एक मंच पर आ रहे हैं, लेकिन वाकई ऐसा होगा, इसमें संशय है। आने वाले दिनों में तस्वीर साफ हो सकती है।
ये भी पढ़ें-Karnataka Elections को लेकर कांग्रेस के 124 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आई सामने
वैसे भी ममता बनर्जी समेत कुछ विपक्ष दल ऐसे हैं, जो नहीं चाहते कि राहुल गांधी को चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा जाए। अब उन्हें अपनी बात पूरे दमखम से कहने का मौका मिल गया है। यह संकेत अखिलेश यादव ने दिए हैं। उम्मीद नहीं है कि कांग्रेस इसे स्वीकार करेगी, क्योंकि वह तो अभी भी राहुल को हीरो बनाने में जुटी है। कांग्रेस को उम्मीद है कि 70 के दशक में इंदिरा गांधी की सदस्यता जाने पर जिस तरह उसके विक्टिम कार्ड ने अगले ही चुनाव में राजनीतिक बाजी पलट दी थी, वैसी ही लहर राहुल के सहारे 2024 में खड़ी की जा सकती है।
ये भी पढ़ें-कमाना चाहते है 80 हजार रुपये, तो रेलवे के साथ मिलकर करें ये काम