जुबिली न्यूज डेस्क
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव राष्ट्रीय राजनीति में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। उनकी तेलंगाना और तमिलनाडु के बाद गुजरात यात्रा को इसी रणनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है। वह चुनाव से पहले किसी दल से गठबंधन करने से इन्कार कर रहे हैं। पर चुनाव के बाद गठबंधन की संभावनाओं से इन्कार नहीं किया जा रहा है।
सियासी जानकारों का कहना है कि अखिलेश यादव एक तरफ अपनी पार्टी को राष्ट्रीय बनाने की योजना में हैं तो दूसरी तरफ पुरानी व नई पीढ़ी के नेताओं में अपनी स्वीकारता बढ़ा रहे हैं।
सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 17 से 19 मार्च तक कोलकाता में है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनके अच्छे संबंध हैं। वह विधानसभा चुनाव के दौरान सपा कार्यालय आ चुकी हैं। इसी तरह अखिलेश को जब भी मौका मिलता है, वह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार से भी मिलने पहुंच जाते हैं।
अखिलेश ने दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों में गतिविधियां बढ़ा दिए हैं। जनवरी में तेलंगाना में आयोजित रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन और सीपीआई के डी राजा के साथ मंच साझा कर एकजुटता का संदेश दिया। इसके बाद वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन के जन्मदिन समारोह पहुंचे।
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यहां कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और दक्षिण के तमाम नेताओं को लोकतंत्र व संविधान की दुहाई देकर भाजपा के खिलाफ एकजुटता का आह्वान किया।
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वह सोमवार को गुजरात में पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के यहां पहुंचे हैं। सूत्रों का कहना है कि वह वहां सपा कार्यकर्ताओं के साथ भी मंथन करेंगे। गुजरात में पार्टी एक विधायक से खाता खोल चुकी है। ऐसे में वहां के नेताओं से मिलकर भविष्य की रणनीति भी बनाएंगे। इसके बाद उनका मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी दौरा करने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। वहां गैर भाजपा और गैर कांग्रेस नेताओं के साथ उनकी बैठक हो सकती है।