न्यूज डेस्क
देश में कोरोना वायरस को रोकने के लिए पिछले 35 दिनों से लॉकडाउन लागू है। हालांकि संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।
इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कोविड-19 जैसी खतरनाक बिमारी को लेकर भाजपा पर आरोप लगाया है कि उससे जुड़े नेता और कार्यकर्ता शराब तस्करी कर अपनी जेबें भर रहे हैं।
अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के दौर में भी सत्ता से जुड़े भ्रष्ट तत्व अपनी जेबें भरने से बाज नहीं आ रहे हैं। शराब तस्करी में सत्तादल के नेताओं की संलिप्तता उजागर हो रही है। यह भी सच सामने आ रहा है कि कोरोना संकट से निबटने में लापरवाही भी बरती जा रही है और आंकड़ों में हेरफेर कर जनता को गुमराह किया जा रहा है।
जुमलों की राजनीति कर रही सरकार
सपा सुप्रीमो ने योगी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि प्रदेश में तमाम दावों के बावजूद गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। दूसरे राज्यों से लौट रहे श्रमिक विभिन्न स्थानों पर फंसे हैं। केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारों का काम सिर्फ जुमलों की राजनीति कर अपना स्वार्थसाधन करना रह गया है।
ब्लैक लिस्टेड कम्पनी को मिला टेंडर
लगातार दागदार कम्पनी को किसके कहने पर आक्सीजन सप्लाई का काम बांटने की तैयारी है। लखनऊ से मेरठ तक ब्लैक लिस्टेड कम्पनी को उसके मुताबिक नियम बदलकर टेण्डर पास किए जाने की साजिश चल रही है। वाराणसी, गोण्डा, रामपुर, गाजीपुर, रायबरेली और सिद्धार्थनगर के जिला अस्पतालों में करवाए जा रहे कामों की भी शिकायतें आई हैं। गोण्डा जिला अस्पताल में मानकों के विपरीत आक्सीजन के उपकरण लगाए जा रहे थे।
34 जिलों में एक भी आईसीयू बेड नहीं
अखिलेश ने कहा कि पिछले दिनों केन्द्रीय कैबिनेट सचिव और राज्य के स्वास्थ्य सचिवों की बैठक में उत्तर प्रदेश की कोरोना संकट से निबटने के प्रयासों पर कई प्रश्नचिह्न लगे। राज्य सरकार की तैयारियां नाकाफी पाई गई हैं। राज्य के 75 जिलों में 53 जिले ऐसे हैं जिनमें 100 से भी कम आइसोलेशन बेड हैं। इनमें 31 जिलों में कोराना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश के 34 जिलों में एक भी आईसीयू बेड नहीं है जबकि इनमें 19 जिलों में कोरोना पॉजिटिव के मामले दर्ज हुए है।
गम्भीर बीमारियों के मरीज भी भटक रहे
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लॉकडाउन में तो बुराहाल है। विगत 26 मार्च 2020 को टीबी मरीजों की जांच और दवाइयां सुनिश्चित करने वाला अपना आदेश भाजपा सरकार पूरा नहीं कर सकी है। दिल, किडनी, कैंसर, लीवर जैसी गम्भीर बीमारियों के मरीज भी भटक रहे हैं, रक्तचाप पीडितों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। सरकारी अस्पताल, सामुदायिक केन्द्रों पर उन्हें कोई देखने वाला नहीं है। राजधानी में ही गम्भीर मरीजों का प्राईवेट इलाज, जांचों और दवाओं पर ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ रही है।