स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सपा अब दोबारा जिंदा होने के लिए संघर्ष कर रही है। अखिलेश यादव लगातार पार्टी में फेरबदल कर रहे हैं। मुलायम की भी कोशिश है कि सपा दोबारा उसी अंदाज में नजर आये। मुलायम और शिवपाल यादव ने सपा को नई पहचान दिलायी थी लेकिन अखिलेश के दौर में सपा का वजूद ही खतरे में पड़ गया।
सत्ता हाथ से निकली और उसके बाद लोकसभा चुनाव में उनकी उम्मीदों को झटका लगा। इसके बाद अखिलेश यादव ने एकाएक पार्टी में कई बड़े बदलाव किये हैं। बसपा से गठबंधन टूटने के बाद अखिलेश यादव अब समझदारी से काम करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने पार्टी में दोबारा उन नेताओं को जोडऩा चाहते हैं जो सपा से अब साइट कर दिये गए थे।
अखिलेश इन नेताओं के सहारे दोबारा पार्टी को जिंदा करना चाहते हैं। अखिलेश खुद इलाहाबाद से पूर्व सांसद रेवती रमण, बेनी प्रसाद वर्मा समेत आधा दर्जन पुराने नेताओं को अहम जिम्मेदारी देने पर विचार कर रहे हैं। इसके आलावा जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर इंद्रजीत सरोज, नरेश उत्तम पटेल, मुस्लिम समुदाय के अहम हसन और रामआसरे विश्वकर्मा को भी अहम जिम्मा सौंपा जा सकता है।
उधर सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार मुलायाम भी पार्टी से बेदखल किये गए पूर्व सपा नेताओं को दोबारा पार्टी में शामिल करने के लिए वकालत कर रहे हैं। अखिलेश ने नये नेताओं के चक्कर पुराने दिग्गजों को नाराज कर दिया। अखिलेश के इस कदम की वजह से कई बड़े नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया। शिवपाल यादव के न होने से भी सपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा लेकिन अखिलेश अब भी शिवपाल यादव से कोई खास रिश्ता रखने की चाहत में नजर नहीं आ रहे हैं।