राजेंद्र कुमार,
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानमंडल के मॉनसून सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) का लखनऊ की सड़क पर विरोध देखने को मिला। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मानसून सत्र के पहले ही दिन विपक्ष का टोन सेट करते हुए सड़क पर केंद्र की भाजपा सरकार को निशाने पर लिया. मामला महंगाई के विरोध का था, इसलिए सूबे की सरकार ने सपा कार्यालय से पैदल मार्च करते हुए विधानसभा जा रहे अखिलेश यादव और सपा के विधायकों को सड़क पर ही रोक लिया. सपा के इस मार्च पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तंज कसा. उन्होंने कहा कि सपा से नियम मानने, शिष्टाचार की उम्मीद करना कपोल कल्पना है. सोमवार के इस घटना क्रम से अब साफ़ हो गया है कि यूपी में सपा और भाजपा के बीच ऐसी जंग जारी रहेगी.
इस सियासी जंग के चलते ही उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र में पहले दिन की कार्यवाही सिर्फ 25 तक चली. विधान भवन में इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस तथा अन्य दल के नेताओं ने शोक प्रस्ताव में भाग लेकर भाजपा के विधायक अरविंद गिरि को शोक संवेदना व्यक्त की. सदन में सपा का कोई भी सदस्य नहीं पहुंच सका. सपा के सभी विधायक पैदल मार्च को लेकर सड़क पर पुलिस से जूझते रह गए. सदन में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया व सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव भी नहीं पहुंचे. ऐसे में लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्ण के भाजपा के विधायक अरविंद गिरि के निधन पर शोक प्रस्ताव के बाद सदन मंगलवार 11 बजे तक के लिए स्थगित हो गया.
यूपी में अराजकता के लिए जगह नहीं : योगी
शोक प्रस्ताव के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि प्रदेश में कहीं पर भी अराजकता के लिए कोई जगह नहीं है. सूबे के 25 करोड़ लोगों के हितों के लिए डबल इंजन की सरकार बिना भेदभाव के कार्य कर रही है. डबल इंजन की सरकार समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचा रही है. सपा के पैदल मार्च पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सूबे में अराजकता के लिए जगह नहीं है. किसी भी दल और व्यक्ति को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने में कहीं कोई बुराई नहीं है. अगर उन्होंने (समाजवादी पार्टी) अनुमति मांगी होगी तो जो भी सरल मार्ग होगा प्रशासन ने उनको उपलब्ध कराया होगा. मुझे लगता है कि समाजवादी पार्टी से यह उम्मीद करना कि वह किसी नियम या किसी शिष्टाचार को माने, यह केवल एक कपोल कल्पना ही कही जा सकती है.
चुनाव तैयारियों का टोन सेट करते अखिलेश :
वही दूसरी तरफ सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मॉनसून सत्र के पहले ही साफ कर दिया था कि इस बार योगी आदित्यनाथ के लिए चीजें उतनी आसान नहीं रहने वाली हैं. इसी रणनीति के तहत अखिलेश ने सूबे की खस्ताहाल सड़कों, सूखे और बाढ़ से प्रेषण किसानों को मुआवजा ना मिलने, बढ़ी महंगाई, बेरोजगारी और ख़राब कानून व्यवस्था के सवाल पर योगी सरकार को घेरा. सत्र के दौरान भाजपा की खामियों को उजागर करने वाले इन जनहित के मुद्दों को उठाने की बात अखिलेश ने की. इसके जरिए अखिलेश 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों का भी टोन सेट करना चाहते हैं. इसी रणनीति के चलते सपा में महंगाई और कानून व्यवस्था के मुददे पर पैदल मार्च निकाला. सपा के जनहित के मुद्दों पर काउंटर कर पाना भाजपा के लिए मुश्किल हुआ. महंगाई, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था, सभी मुद्दे गरम हैं. ऐसे में योगी जब सामने आए तो उन्होंने सपा के चरित्र पर सवाल किया. यूपी में अब यह राजनीति लगातार देखने को मिलेगी, आज इसके पुख्ता संकेत दिख गए हैं.
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