जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। देश में इन दिनों पेपर लीक का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है तो दूसरी ओर इसको लेकर सियासत भी जमकर हो रही है। नई सरकार बने हुए कुछ दिन हुए है और पेपर लीक का मामला सरकार की मुश्किलें जरूर बढ़ा रहा है।
अब अखिलेश यादव ने यूपी पुलिस भर्ती मामले को उठाकर यूपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से यूपी सरकार को घेरा है।
उन्होंने लिखा है कि ‘भाजपाइयों’ की है यही पहचान झूठों को काम, झूठों को सलाम ये आरोप बेहद गंभीर है कि पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर आयोजित करवानेवाली गुजरात की कंपनी का ही, पेपर लीक करवाने में हाथ है और उसका मालिक जब सफलतापूर्वक विदेश भाग गया,उसके बाद ही उप्र सरकार ने उसके बारे में जनता को बताया औरअगर भाजपा सरकार ने फाइलों की जगह ज़मीन में पेड़ लगाए होते तो शायद भीषण गर्मी से जनता का कुछ बचाव हो सकता था। पता करना पड़ेगा कि जहाँ से पेड़ की सप्लाई हुई, भाजपा ने क्या वहाँ से भी चुनावी चंदा लिया है। …
और अब गड़बड़ी की ख़बर के बाद UGC- NET की परीक्षा भी रद्द कर दी गयी है। भाजपा के राज में पेपर माफ़िया एक के बाद एक, हर एग्ज़ाम में धांधली कर रहा है। ये देश के ख़िलाफ़ किसी की बड़ी साज़िश भी हो सकती है।
गहरी बात समझिए:
– पुलिस भर्ती की परीक्षा का पेपर लीक होगा तो क़ानून-व्यवस्था नहीं सुधरेगी। जिससे देश-प्रदेश में अशांति और अस्थिरता बनी रहेगी।
– NEET की परीक्षा में घपला होगा तो ईमानदार लोग डॉक्टर नहीं बन पाएंगे और देश के लोगों के इलाज के लिए भविष्य में डॉक्टरों की कमी और बढ़ जाएगी और बेईमान लोग, जनता के जीवन के लिए ख़तरा बन जाएंगे।
– UGC-NET परीक्षा न होने से, पहले से शिक्षकों की जो कमी चली आ रही है, उसमें और भी ज़्यादा इज़ाफ़ा होगा। शिक्षकों की कमी से देश के मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न होगी, जो कालांतर में देश के लिए बेहद घातक साबित होगी।
इन सबसे प्रशासन के साथ-साथ स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जाएगी। ये हमारे देश के शासन-प्रशासन व देश के मानव संसाधन के विरूद्ध कोई बहुत बड़ा षड्यंत्र भी हो सकता है, जिसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम निकलेंगे। इसीलिए कोर्ट की निगरानी में इसकी कठोर जाँच हो और दोषियों को कठोरतम सज़ा दी जाए, और कोई भी अपराधी छोड़ा न जाए, फिर वो चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो या फिर उसके सिर पर सत्ता का हाथ ही क्यों न हो।
लोग कह रहे हैं जो भ्रष्ट लोग कोरोना के वैक्सीन में चुनावी चंदे के नाम पर पीछे से करोड़ों रूपये खा सकते हैं, वो भला परीक्षा-प्रणाली को क्या छोड़ेंगे।