जुबिली न्यूज ब्यूरो
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर किसानों के उत्पीड़न का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भाजपा की नीतियों से कृषि अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट और बर्बाद हो गई है। प्राकृतिक आपदा से ज्यादा सरकारी रवैये से किसान आज संकट में है।
भ्रष्टाचार के चलते बढ़ी किसानों की बदहाली
सपा सुप्रीमो ने कहा कि बीजेपी ने कर्ज माफी, आय दुगनी करने तथा उपज की उत्पादन लागत का डेढ़ गुना दाम देने के झूठे वादों से उसके वोट ले लिए और फिर कारपोरेट के पास उसको बंधक बनाने की साजिश को अंजाम दे दिया। बेमौसम बरसात और धान की खरीद में भ्रष्टाचार के चलते किसान बदहाली में है और सरकार उसके प्रति संवेदनाशून्य व्यवहार कर रही है। ऐसे में किसान आत्महत्या न करेंगे तो क्या करे?
क्रय केंद्रों पर नहीं कोई व्यवस्था
बेमौसम बरसात में खेतों में तैयार और खलिहान में पड़ी धान की काफी फसल खराब हो गई है। तिलहनी फसलों को भी नुकसान हुआ है। कई स्थानों पर धान क्रय केन्द्रों के बाहर खुले में रखा धान भी भीगकर खराब हो गया। पराली जलाने को लेकर भी किसानों का उत्पीड़न हो रहा है। सपा ने कहा है कि किसान के धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 रूपए प्रति कुंतल है लेकिन बाजार में उसे हजार, बारह सौ रूपये में ही धान बेचना पड़ रहा है। धान क्रय केन्द्रों पर किसान को अपमानित किया जाता है।
खाद की कीमतों में बढ़ोतरी से नुकसान में किसान
धान की खरीद में कई तरह की बाधाएं डाले जाने की शिकायतें मिल रही हैं। धान की क्वालिटी, नमी आदि कमियां बता कर किसान लौटा दिया जाता है। उसे खाद के दाम भी देने में देरी की जाती है। किसान को बाजार से मंहगा डीजल, खाद, कीट नाशक, खेती के उपकरणों की खरीद करनी पड़ती है। भाजपा राज में एक अक्टूबर 2020 से डीएपी खाद पर 50 रूपये और एन.पी.के. खाद पर 78 रूपये प्रति बोरी दाम बढ़े हैं। सरकारी देयों की वसूली बेरहमी से की जा रही है। किसान को आसानी से बैंकों से कर्ज नहीं मिल रहा है। फलतः वह किसी न किसी साहूकार के चंगुल में फंसना पड़ता है।
खेती पर लटक रही कॉरपोरेट के कब्जे की तलवार
किसानों को इस वर्ष धान की फसल से बहुत उम्मीदे थी। मकान की मरम्मत के अलावा पिछला कर्ज चुकाने के साथ बेटे-बेटी की शादी ब्याह, पढ़ाई का खर्च भी उसे इसी की आय से चलाना था। लेकिन भाजपा सरकार में उसे मंहगाई से लेकर भ्रष्टाचार तक की मार सहनी पड़ रही है। भाजपा सरकार ने अब ऐसी व्यवस्था की है कि किसान का खेत पर मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और अब उसकी खेती भी कारपोरेट की शर्त पर होगी।
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