स्पेशल डेस्क
लखनऊ। कोरोना वायरस को रोकने के लिये सरकार की तरफ से उठाये गए जनता कर्फ्यू जैसे क़दमों के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, ऑटो व रिक्शा चालकों और सड़कों के किनारे खाद्य पदार्थ बेचने वालों की समस्याओं की तरफ ध्यान देने की अपेक्षा की है।
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अखिलेश यादव ने कहा है कि सरकार ने 31 मार्च तक क्योंकि रेस्टोरेंट, ढाबे, मिठाई और खाने की दुकानों आदि को बंद करने का आदेश दे दिया है। ऐसे में रोज़ कुआं खोदकर पानी पीने वालों के सामने भुखमरी का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने कहा है कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि समाज के वंचित वर्ग के सामने कहीं जीने का संकट ही न खड़ा हो जाये।
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अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार से कहा है कि जब वह एतिहासिक बजट पेश कर सकते हैं तो उन्हें वंचितों और किसानों को एतिहासिक पैकेज देने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि असमय बारिश और ओलावृष्टि की वजह से फसल चौपट हो गई है। एक तरफ किसानों की फसल चौपट हो गई तो दूसरी तरफ सूदखोरों और बैंकों का क़र्ज़ उनके सर पर भार की तरह से बढ़ गया है। सरकार को इस दिशा में तत्काल ध्यान देना चाहिए क्योंकि ऐसे ही हालात में किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाता है।
अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और केन्द्र दोनों जगहों पर भाजपा की सरकार है। डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद प्रदेशवासियों के साथ अगर अमानवीय व्यवहार हुआ तो यह अनुचित होगा। राज्य सरकार को तत्काल मुफ्त राशन और निशुल्क इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए।
बंद के दौरान मजदूरों के खाते में योगी सरकार द्वारा धनराशि डाले जाने के मुद्दे पर श्री यादव ने कहा कि ईंट भट्टों पर काम करने वालों और अपंजीकृत मजदूरों के घरों पर भी इस विपदा के समय पर भी चूल्हा जलता रहे, सरकार को इसकी व्यवस्था भी करनी चाहिए। उनके परिवार के सदस्यों की ज़िन्दगी को किसी के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।