स्पेशल डेस्क
लखनऊ। लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत के सबसे बड़े चेहरे मुलायम सिंह यादव की तबीयत इन दिनों बेहद खराब चल रही है तो दूसरी ओर उनकी पार्टी सपा भी गर्त में जा चुकी है। मोदी को पराजित करने का सपना अब सपना बनकर रह गया है। मुलायम की विरासत को उनके बेटे अखिलेश यादव संभाल रहे हैं लेकिन अखिलेश इस जिम्मेदारी के बोझ तले दबे नजर आ रहे हैं।
आलम तो यह है कि अखिलेश भी अपनी पार्टी को दोबारा जिंदा करने के लिए तमाम बदलाव करना पड़ रहा हैं। जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में मिली हार के लिए जो लोग पार्टी में जिम्मेदार है उन्हें अलग-थलग करने का मन बना लिया है।
इस वजह से उन्होंने यूपी के बाद अब पार्टी की दिल्ली इकाई भी भंग करके अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं। इतना ही नहीं अखिलेश यादव उन नेताओं की भी लिस्ट तैयार कर रहे हैं जो शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा के साथ अपनी दोस्ती बढ़ा रहे हैं।
सपा को बदायूं, फिरोजाबाद व कन्नौज जैसी सीटें पर हार का मुंह देखना पड़ा था। माना जाता यहां के सपा के कार्यकर्ता अपनी पार्टी के बजाये दूसरी पार्टी के नेताओं को फायदा पहुंचाने में लगे रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव पार्टी निष्क्रिय और लापरवाह पदाधिकारियों पर एक्शन लेने की तैयारी में है। हार का कारण खोजने के लिए अखिलेश यादव ने गांव कसबे में जाकर लोगों से बात की है। जानकारी के मुताबिक हार के बाद तमाम नेता व कार्यकर्ता उदासीन है। ऐसे में अखिलेश यादव फिर से पार्टी को जिंदा करने के लिए नई योजना बना रहे हैं।