Wednesday - 30 October 2024 - 4:43 AM

सीएए पर मतभेद के चलते दिल्ली चुनाव से अकाली दल ने किया किनारा

न्यूज डेस्क

नागरिकता संसोधन काननू और एनआरसी को लेकर बीजेपी की सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल ने अपना विरोध जताया था। सीएए और एनआरसी को लेकर आज भी बीजेपी और अकाली दल के बीच मतभेद बरकरार है। फिलहाल इसी मतभेद के चलते अकाली दल ने दिल्ली चुनाव से हटने का फैसला किया है।

20 जनवरी को शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि सीएए पर सहयोगी बीजेपी द्वारा उसका रुख बदलने के लिए कहे जाने के बाद वह अगले महीने होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में नहीं उतरेगी।

अकाली दल नेता व विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बीजेपी के साथ चुनाव से संबंधित तीन बैठकों में उनकी पार्टी से सीएए पर उसके रुख पर विचार करने को कहा गया।

विधायक सिरसा ने कहा, ‘बीजेपी के साथ हमारी बैठक में हमसे सीएए पर रुख पर फिर से विचार करने को कहा गया लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया। शिरोमणि अकाली दल की पुरजोर राय है कि मुसलमानों को सीएए से अलग नहीं रखा जा सकता।’

उन्होंने कहा, ‘हम राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) के भी पुरजोर खिलाफ हैं।’

वहीं इससे पहले अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा था कि सीएए में प्रताडि़त मुस्लिमों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, सिरसा ने कहा, ‘अकाली दल-बीजेपी का एक लंबा गठबंधन रहा है लेकिन जब लोगों के कल्याण के संबंध में हमारे मूल सिद्धांत की बात आती है तो धर्म और जाति के नाम पर विभाजन नहीं हो सकता। इसलिए हमने चुनाव नहीं लडऩे को प्राथमिकता दी।’

सिरसा ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि एनआरसी लाया जाए और लोगों को कतार में खड़ा किया जाए और उनके पूर्वजों की पहचान को साबित किया जाए।

हालांकि सियासी गलियारे में चर्चा है कि गठबंधन टूटने में सीटों के बंटवारे की भी भूमिका है। अकाली दल छह सीटों पर लडऩे की इच्छुक थी लेकिन भाजपा उसे चार सीटें ही देने को तैयार थी। इसके साथ ही इस बात पर भी विवाद था कि चुनाव किसके चिन्ह पर लड़ा जाएगा।

अकाली दल ने बीजेपी के साथ गठबंधन करके 2013 और 2015 के विधानसभा चुनावों में चार सीटों हरि नगर, राजौरी गार्डन, कालकाजी और शाहदरा पर चुनाव लड़ा था। पार्टी ने 2013 में तीन सीटें जीतीं जबकि 2015 के चुनावों में सभी सीटें हार गई। सिरसा ने बाद में एक उपचुनाव में राजौरी गार्डन सीट जीती।

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